धान की खेती के लिए पानी की मांग पर किसानों की आरपार की लड़ाई जारी, वार्ता विफल के बाद हिरासत में लिये गए 17 किसान

किसानों को पुलिस ने दो दिन से रोक रखा था. वहीं बुधवार (3 जुलाई) को सीएडी प्रशासन के साथ वार्ता की गई, लेकिन यह वार्ता विफल रही. इसके बाद किसानों ने कोटा की ओर रुख किया.

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Rajasthan Farmer Protest: राजस्थान के बूंदी में नहरी पानी कीमांग को लेकर किसान कोटा लालसोट मेगा हाईवे पर डेरा जमाए आंदोलन कर रहे किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया है. बूंदी के किसान धान की फसल के लिए कोटा बैराज से पानी की मांग कर रहे हैं. 1 जुलाई को किसानों ने कोटा बैराज से नहरी पानी की मांग की थी और आंदोलन की चेतावनी दी थी. वहीं 2 जुलाई को किसान सैकड़ों ट्रैक्टर लेकर कोटा बैराज के लिए कूच किया था. लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया था. इसके बाद किसान लालसोटा मेगा हाईवे पर धरना दे रहे.

किसानों को पुलिस ने दो दिन से रोक रखा था. वहीं बुधवार (3 जुलाई) को सीएडी प्रशासन के साथ वार्ता की गई, लेकिन यह वार्ता विफल रही. इसके बाद आंदोलन कर रहे किसानों ने कोटा की ओर रुख किया. लेकिन पुलिस ने किसानों को रोक दिया और 17 किसानों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस किसानों को बसों में भर कर केशोरायपाटन थाने ले आई.

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कोटा में संभागीय आयुक्त से किसानों की वार्ता

किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल को संभागीय आयुक्त से वार्ता करने के लिए कोटा ले जाया गया. जहां पर सुबह से लेकर शाम तक चली वार्ता के बाद कोई हल नहीं निकला. 3 जुलाई को सुबह फिर 11:00 आयुक्त उर्मिला राजोरिया से किसानों की बातचीत चली लेकिन वह सफल नहीं रही. ऐसे में किसानों का प्रतिनिधिमंडल वापस धरना स्थल पर पहुंचा और कोटा की तरफ कूच करने के लिए बढ़ा तो पुलिस ने किसानों को हिरासत में लिया है. प्रशासन किसानों से अपील कर रहा है की जरूरत के अनुसार समय पर पानी भेज दिया जाएगा. लेकिन किसान 2 जुलाई से ही पानी की मांग पर अड़े रहे जिस पर बात नहीं बन सकी. किसान गिरिराज गौतम ने कहा कि किसान नहरी पानी को लेकर आरपार की लड़ाई के मूड में है. प्रशासन जैसे चाहे वैसे किसानों से निपट सकता है.

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क्यों हैं किसान नाराज

शुगर मिल संयुक्त किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष गिरिराज गौतम ने बताया कि हमने दो माह पूर्ण 1 जुलाई से केशोरायपाटन क्षेत्र में खरीफ की फसल के लिए नेहरू पानी छोड़ने की मांग की थी. विभाग ने हमें आश्वासन भी दिया था. लेकिन 1 जुलाई होने जाने के बावजूद भी पानी नहीं छोड़ा है जिसके चलते किसानों में आक्रोश है. जिले में मानसून की एंट्री होने के साथ ही खेतों में फसल की तैयारी में जुट गए हैं. मानसून की बारिश भी अभी तक नहीं हुई है. उन्हें पहले पानी की आवश्यकता है लेकिन विभाग पानी को नहरों में छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. हाडौती के सबसे बड़े बांध कोटा बैराज से दो दरवाजा को खोलकर 10 हजार क्यूसेक सबसे अधिक पानी की निकासी की गई थी. इसकी निकासी के बाद से ही किसान नाराज हैं. किसानों का कहना है कि उस पानी को सीआईडी प्रशासन ने व्यर्थ बहा दिया जबकि उसे पानी का उपयोग हो सकता था. व्यर्थ बहने की बजाय व किसानों को नहरी पानी की उपयोग में दिया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया और पानी व्यर्थ बह गया. जबकि खरीफ की फसल का सीजन शुरू हो चुका है इस सीजन में पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है किस मानसून पर डिपेंड रहता है लेकिन मानसून को एक सप्ताह हो गया लेकिन अभी तक पानी नहीं आया है तो नेहरू पानी ही फसलों को जीवन दान दे सकता है. 

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