राजस्थान परिवहन विभाग में 7 डिजिट वाले बड़े घोटाले में अब होगा FIR, 500 करोड़ का स्कैम... जद में 400 अधिकारी

मार्च 2025 से चल रहे 7 डिजिट मामले का खुलासा सबसे पहले जयपुर RTO प्रथम में हुआ था, जहां बाबू सुरेश तनेजा और सहायक प्रोग्रामर रामजीलाल को लेकर गंभीर सवाल उठे थे.

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डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा

Rajasthan Transport Department: परिवहन विभाग में पुराने हैरिटेज नंबरों को गलत तरीके से बैकलॉग कर आवंटित करने के मामले में अब FIR दर्ज कराई जाएगी. विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के पुरानी 7 डिजिट सीरीज के नंबर महंगे दामों पर बेचने का आरोप सामने आया था. इस पूरे प्रकरण पर डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने दोषी कार्मिकों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए हैं. मार्च 2025 से चल रहे इस मामले का खुलासा सबसे पहले जयपुर RTO प्रथम में हुआ था, जहां बाबू सुरेश तनेजा और सहायक प्रोग्रामर रामजीलाल को लेकर गंभीर सवाल उठे थे. दोनों को विभाग पहले ही निलंबित कर चुका है.

जांच आगे बढ़ने पर झुंझुनूं और राजसमंद के DTO को भी निलंबित किया गया. खेतड़ी डीटीओ और झुंझुनूं के निरीक्षकों पर भी कार्रवाई हुई. विभाग ने अपर परिवहन आयुक्त रेणु खंडेलवाल को राज्यभर में जांच के निर्देश दिए थे. खंडेलवाल ने आरटीओ को 8500 ऐसे वाहनों की सूची भेजी जिनका बैकलॉग गलत तरीके से किया गया था. रिपोर्ट की मांग के बाद दौसा को छोड़ बाकी जिलों ने अपनी रिपोर्ट भेज दी. विभाग ने दौसा आरटीओ को भी निलंबित कर दिया है जबकि सवाई माधोपुर डीटीओ की रिपोर्ट लंबित बताई जा रही है.

खुल रही घोटाले की परतें

विभागीय जांच के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में दो से तीन RTO के नाम भी सामने आ रहे हैं. बैकलॉग और पंजीयन से जुड़े मामलों में करीब 35 डीटीओ और प्रदेशभर के लगभग 400 अधिकारी-कर्मचारी जांच के दायरे में हैं. जयपुर आरटीओ प्रथम में सबसे अधिक 32 कार्मिकों के नाम सामने आए हैं जिनमें आधा दर्जन डीटीओ, निरीक्षक और बाबू शामिल हैं. विभागीय समिति ने इस मामले में लगभग 500 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता मानी है. रिन्युअल फीस और ट्रांसफर फीस न लेने से विभाग को बड़ा नुकसान हुआ है. जांच में यह भी सामने आया कि 8500 बैकलॉग वाहनों में से करीब दो हजार वाहनों का रिकॉर्ड गायब है.

कौन किस पर दर्ज कराएगा FIR

विभाग इस मामले में कल विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा. जिन जिलों में विभागीय कार्मिक दोषी पाए गए हैं, वहां संबंधित डीटीओ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराएंगे. जिन जिलों में डीटीओ भी आरोपों के दायरे में हैं, वहां संबंधित आरटीओ को एफआईआर दर्ज कराने की जिम्मेदारी दी जाएगी.

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ED ने परिवहन विभाग से मांगा जवाब

इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने भी तीन बिंदुओं पर परिवहन विभाग से जवाब मांगा है. जयपुर आरटीओ प्रथम के बाबू सुरेश तनेजा के किए गए करीब 80 पंजीयन की रिपोर्ट ईडी ने तलब की है. इसके साथ ही प्रदेशभर में हुई वित्तीय अनियमितताओं पर भी विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. पहले परिवहन मुख्यालय ने वित्त विभाग को अनियमितता से जुड़ी रिपोर्ट भेजी थी जिसके बाद ईडी ने इस मामले में हस्तक्षेप किया. विभाग तीनों बिंदुओं पर जवाब भेज चुका है.

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