Rajasthan News: लापता टाइगर वन विभाग के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (कोटा) से टाइगर एमटी-5 बाहर की तरफ मूवमेंट कर रहा है. लापता बाघ की 3 दिन से तलाश जारी है. बिजौलिया क्षेत्र के तिलस्वां के जंगलों में अब भी उसकी तलाश की जा रही है. सर्च में लगी टीम ट्रेकिंग शुरू कर रही है, मगर वन विभाग के हाथ खाली हैं. अभी टाइगर की लोकेशन ट्रेस नहीं हो सकी है.
6 महीने बाद वापसी
गत फरवरी में बिजौलिया क्षेत्र में बाघ के तीन दिन बिताए थे. इसके चलते वन विभाग की टीम संभावना के आधार पर बाघ की यहां तलाश कर रही है. बाघ तीन दिन बाद जोगणिया माता के जंगल से वापस उसी रास्ते मुकुंदरा पहुंच गया था. अब छह माह बाद फिर से इसके बिजौलिया में आने की संभावना जताई गई है. मुकुंदरा की टीम ने यहां के कांस्या, तिलस्वां, राणाजी का गुढ़ा होकर आरोली के जंगलों में सर्च किया.
रावतभाटा जंगल भी सर्च
बिजोलिया की फॉरेस्टर चांदमल का कहना है कि आधुनिक उपकरणों से एक्सपर्ट टीम के इंचार्ज और मुकुंदरा टाइगर रिजर्व के एसीएफ जनक सिंह के निर्देशन में काम किया. बीते 3-4 दिनों से टाइगर एमटी-5 की मुकुंदरा में लोकेशन नहीं मिल पा रही थी. टाइगर छह महीने पहले बिजौलिया में तीन दिन बिताकर मुकुंदरा लौटा था. टाइगर की बिजोलिया आने की आशंका के चलते ही यहां के जंगलों में तलाश की जा रही थी. एक्सपर्ट्स की टीम फिर रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) साइड में अब टाइगर की तलाश और लोकेशन सर्च कर रही है. स्पेशल टीम बिजोलिया के बाद अब रावतभाटा जंगल क्षेत्र में आधुनिक गैजेट्स की मदद से टाइगर की तलाश के रहे हैं.
जोगणिया माता के जंगल में डाला था डेरा
लापता टाइगर की लोकेशन पिछली बार भी भीलवाड़ा जिले की बिजोलिया क्षेत्र में सामने आई थी. इसी साल 11 फरवरी को बाघ तीन दिन बिजौलिया और जोगणिया माता के आसपास जंगल में रहकर मालादेवी होते हुए मुकुंदरा के बफर जोन में पहुंचा था. बिजौलिया के कांस्या-सिंगोली स्टेट बॉर्डर से 5 किलोमीटर दूर श्रीनगर के जंगलों के बाद मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व का क्षेत्र शुरू होता है. विशेषज्ञ के बार-बार बाहर निकलने का कारण अपनी टेरेटरी बढ़ाना और अपनी मार्क टेरेटरी में घूमना माना जा रहा है.
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