Former Pakistan PM: कोर्ट ने इमरान खान को सुनाई 10 साल की सजा, अगले एक दशक तक जेल में कैद रहेंगे पूर्व पाक PM

Imran Khan sentenced to 10 years in jail: इमरान खान और उनकी पार्टी के अन्य शीर्ष नेता 9 मई की हिंसक घटनाओं और गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे को लेकर गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों में पहले से ही जेल में बंद हैं और अब उनकी यह कैद और लंबी हो गई है. 

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पूर्व पाकिस्तानी पीएम इमरान खान (फाइल फोटो)

Former Pakistan PM sentenced 10 Years Jail : हिंसक घटनाओं और गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे को लेकर पहले से ही जेल में कैद पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तान की एक अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इमरान के सहयोगी और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी स्‍टेट सीक्रेट लीक करने के मामले में 10 साल की सजा सुनाई है. 

इमरान खान और उनकी पार्टी के अन्य शीर्ष नेता 9 मई की हिंसक घटनाओं और गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे को लेकर गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन से संबंधित मामलों में पहले से ही जेल में बंद हैं और अब उनकी यह कैद और लंबी हो गई है. 

गौरतलब है ‘सिफर' मामले का संबंध गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों के खुलासे से हैं. इमरान खान ने 27 मार्च, 2022 को एक सार्वजनिक रैली में अमेरिका का नाम लेते हुए दावा किया था कि यह उनकी सरकार को गिराने की एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश' का सबूत है.

पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) ने इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के वित्तपोषण (फंडिंग) की कई वर्षों की जांच के बाद सर्वसम्मति से घोषणा की कि पार्टी को अगस्त 2003 में ‘निषिद्ध राशि' प्राप्त हुई थी.

इस्लामाबाद में 9 मई, 2023 को अर्द्धसैनिक रेंजर्स द्वारा खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. भ्रष्टाचार के एक मामले में खान की गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में रावलपिंडी में सेना मुख्यालय सहित 20 से अधिक सैन्य प्रतिष्ठान और राज्य भवन या तो क्षतिग्रस्त कर दिए गए या उनमें आग लगा दी गई.

9 मई, 2023 को अर्द्धसैनिक रेंजर्स द्वारा इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों द्वारा की गई हिंसा के बाद पार्टी मुश्किल में पड़ गई थी. हमले के बाद के दिनों में सैकड़ों दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया और उन पर विभिन्न आरोपों में मामले दर्ज किए गए.

पिछली शहबाज शरीफ सरकार का हिस्सा रहे उच्च पदस्थ सूत्रों ने शनिवार को ‘द न्यूज' को बताया कि ईसीपी के फैसले ने उस समय की पीडीएम सरकार को पीटीआई को प्रतिबंधित इकाई घोषित करने के लिए पाकिस्तान की शीर्ष अदालत के समक्ष सवाल उठाने का अवसर प्रदान किया था, लेकिन सरकार ने बाद में उचित समय पर इस मामले को उठाने का विकल्प चुना.

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