फोर्टिस अस्पताल के डॉ. ज्योति बंसल की SC से जमानत याचिका खारिज, फर्जी एनओसी से ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने का आरोप

कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर प्रकृति का अपराध है. जांच में वित्तीय लेनदेन और फर्जी दस्तावेज से जुड़े कई ऐसे सबूत मिले हैं जो ज्योति बंसल को इस रैकेट से जोड़ते हैं.

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फोर्टिस अस्पताल के डॉ. ज्योति बंसल की SC से जमानत याचिका खारिज

राजस्थान के बहुचर्चित मानव अंग तस्करी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी डॉ ज्योति बंसल की जमानत याचिका खारिज कर दी. यह मामला ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी बनाने और अंतरराष्ट्रीय मानव अंग तस्करी से जुड़ा है. इस मामले में एसीबी ने डॉक्टर बंसल को आरोपी बनाया था. इसके खिलाफ वे हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत नहीं दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जमानत देना, जांच को प्रभावित कर सकता है. साथ ही न्यायालय ने इस तरह के गंभीर और संगठित अपराध के मामले में न्यायिक सतर्कता पर जोर दिया. 

फेक एनओसी पर किया ट्रांसप्लांट

एसीबी के अनुसार, डॉक्टर ज्योति बंसल इस रैकेट से जुड़े हुए थे. ज्योति बंसल पहले मणिपाल हॉस्पिटल में काम करते थे. पिछले साल जब मणिपाल हॉस्पिटल को ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए लाइसेंस नहीं मिला तो डॉ ज्योति पूरी टीम के साथ वहां से फोर्टिस अस्पताल आ गए. इसके बाद फोर्टिस अस्पताल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई. आरोप है कि डॉक्टर ने कई ऐसी सर्जरी की, जिसके लिए फेक एनओसी सर्टिफिकेट बनाया गया था. फेक एनओसी के आधार पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना अपराध है. इस मामले में डॉक्टर ज्योति बंसल सहित अस्पताल के अन्य कर्मियों का फोन भी एसीबी ने जब्त किए थे.

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फर्जी एनओसी बनाने के लिए मार्च में हुई थी गिरफ्तारी

इसी साल मार्च के महीने में एसीबी ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी तैयार करने के मामले में एसएमएस अस्पताल के सहायक प्रशासनिक अधिकारी गौरव सिंह और ईएचसीसी अस्पताल के ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर को गिरफ्तार किया था. बाद में जांच में इसमें अंतरराष्ट्रीय रैकेट के शामिल होने के इनपुट एसीबी को मिले थे. ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए एनओसी देने वाली कमिटी की बैठक न होने का फायदा उठाकर गौरव सिंह ने कई फर्जी एनओसी जारी किए थे. जांच में पता चला था कि 269 ऐसे मामले थे, जिनमें डोनर और रिसीवर नजदीकी रिश्तेदार नहीं थे.

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जांच में हुई कई बड़े खुलासे

फोर्टिस, ईएचसीसी और मणिपाल हॉस्पिटल में नियम के खिलाफ प्रत्यारोपण पाए जाने पर इनका अंग प्रत्यारोपण का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था. बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिकों का ट्रांसप्लांट हुआ था. इसमें बांग्लादेशी नागरिक नूरुल इस्लाम की भी गिरफ्तारी हुई थी. कोर्ट ने जमानत के आधार को पर्याप्त नहीं माना. न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने डॉ ज्योति बंसल की याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर प्रकृति का अपराध है. जांच में वित्तीय लेनदेन और फर्जी दस्तावेज से जुड़े कई ऐसे सबूत मिले हैं जो ज्योति बंसल को इस रैकेट से जोड़ते हैं. सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और पैनल अधिवक्ता दिव्यांक पंवार ने पैरवी की.

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