कांग्रेस राज के वह 4 संविधान संशोधन, जिसका जिक्र संसद में अमित शाह ने किया और हो गया बवाल

संविधान सभा की चर्चा पर संसद में अमित शाह ने जवाब देते हुए कांग्रेस को घेरा है. अमित शाह ने चार संविधान संशोधन का जिक्र किया जो कांग्रेस के शासन में किया गया था.

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Parliament Constitution Debate: संसद का शीत कालीन सत्र चल रहा है और इस सत्र में संविधान सभा पर विशेष चर्चा की गई है. वहीं राज्यसभा में संविधान सभा पर हुई चर्चा पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला. अमित शाह ने राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए कहा कि 56 साल के नेता जो खुद को युवा कहते हैं और संविधान को लहराते घूमते थे और कहते थे कि बीजेपी सत्ता में आएगी तो संविधान बदल देगी. उन्हें जनता ने सबक सिखा दिया है. 

अमित शाह ने संविधान संशोधन पर कांग्रेस को घेरा और कहा कि बीजेपी के 16 साल के शासन में 22 बार संविधान संशोधन किया गया है. लेकिन कांग्रेस के 55 साल के शासन में 77 बार संविधान में संशोधन किया गया है. वहीं अमित शाह ने चार संविधान संशोधन का जिक्र किया, जिस पर विपक्ष ने खूब हंगामा किया.

अमित शाह ने 4 संविधान संशोधन का जिक्र किया

पहला संविधान संशोधन- अमित शाह ने पहले संविधान संशोधन का जिक्र किया जो संविधान लागू होने के तुरंत बाद 18 जून 1951 में किया गया था. उस समय लोकसभा और राज्यसभा भी अस्तित्व में नहीं था. लेकिन कांग्रेस ने संविधान में 19A को जोड़ा. शाह ने कहा कि यह वह संशोधन था जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक के लिए था. उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे.

बता दें, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) को जोड़ कर "भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग" के खिलाफ सीमित करने का प्रावधान किया गया था.

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24वां संविधान संशोधन- अमित शाह ने 24वें संविधान संशोधन का जिक्र किया जो 5 नवंबर 1971 को किया गया था. उन्होंने कहा कि इस संशोधन से संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने का अधिकार मिला. यह संशोधन इंदिरा गांधी की सरकार में किया गया था.

बता दें, , 24वां संशोधन संसद को संविधान के संशोधनों के माध्यम से मौलिक अधिकारों को कम करने का अधिकार देता है. इसने अनुच्छेद 368 में भी संशोधन किया ताकि स्पष्ट रूप से प्रावधान किया जा सके कि संसद को संविधान के किसी भी प्रावधान में संशोधन करने का अधिकार है.

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39वां संविधान संशोधन- तीसरे संशोधन का जिक्र करते हुए अमित शाह ने 39वां संविधान संशोधन के बारे में बताया जो 10 अगस्त 1975 को किया गया था. शाह ने कहा इस संशोधन के जरिए प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसमें यह भी तय किया गया था कि अगर पीएम पर पहले भी कोई मुकदमा है तो वह खारिज हो जाएगा.

बता दें, भारतीय संविधान के 39वें संशोधन ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को भारतीय न्यायालयों की जांच से परे कर दिया. यह आपातकाल के दौरान पारित किया गया था.

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42वां संविधान संशोधन- कांग्रेस की ओर से किये गए चौथे संविधान संशोधन के बारे में अमित शाह ने 42वें संविधान संशोधन को गिनाया, जिसमें राज्य की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से 6 साल कर दिया गया था.

बता दें, 42वें संशोधन को इतिहास का सबसे विवादास्पद संवैधानिक संशोधन माना जाता है. इसमें संविधान में व्यापक रूप से संशोधन किया गया था. इस संशोधन में प्रस्तावना में भी संशोधन किया गया था.

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