राजस्थान हाई कोर्ट में अचानक रोक दी गई सभी केसों की सुनवाई, दरवाजे की तरफ दौड़ पड़े लोग; जानें वजह

Rajasthan High Court News: जयपुर हाई कोर्ट को 72 घंटों में तीसरी बार बम से उड़ाने की धमकी मिली है. सुरक्षा एजेंसियां इस वक्त परिसर में सर्च ऑपरेशन चला रही हैं. वहीं, गेट के बाद खड़े वकील, अधिकारियों के 'ऑल क्लियर' का वेट कर रहे हैं.

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राजस्थान हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की चौथी धमकी, $72$ घंटों में तीसरी बार दहशत, कोर्ट परिसर खाली
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में मंगलवार सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब अचानक कोर्ट रूम में चल रही सभी केसों की सुनवाई रोक दी गई. न्यायिक प्रक्रिया के बीच में ही 'खतरा' घोषित होते ही, वकील, मुवक्किल, और कोर्ट स्टाफ दरवाजों की ओर बेतहाशा दौड़ पड़े. हर तरफ अफरा-तफरी और भगदड़ का माहौल था. इस दहशत का कारण था- हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिलना. जी हां, महज तीन दिन में यह तीसरी और एक महीने में चौथी बार है जब राजस्थान हाई कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिली है.

कोर्ट रूम में क्या हुआ? 

चश्मदीदों के अनुसार, सुबह के सत्र में विभिन्न बेंचों पर सामान्य रूप से सुनवाई चल रही थी. अचानक एक कोर्ट रूम में संदेश पहुंचा कि पूरे परिसर को खाली करना है. जैसे ही यह बात फैली कि 'बॉम्ब की धमकी' है, जो लोग बहस कर रहे थे, वे वहीं रुक गए. न्यायाधीशों ने तत्काल कार्यवाही स्थगित कर दी और सुरक्षाकर्मियों ने लोगों से बाहर निकलने का आग्रह किया. लोग अपनी फाइलें और जरूरी सामान छोड़कर जान बचाने के लिए दरवाजों की तरफ भागने लगे. इतनी कम अवधि में बार-बार मिल रही धमकी की वजह से लोगों में डर और गुस्सा दोनों था.

पूरे परिसर में सर्च जारी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, धमकी की सूचना मिलते ही जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की विशेष टीमें, बॉम्ब डिस्पोजल स्क्वॉड (BDS) और क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) मौके पर पहुंच गई. हाई कोर्ट के चारों मुख्य द्वारों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई और पूरा परिसर खाली करा दिया गया. बीडीएस टीमें अत्याधुनिक उपकरणों के साथ हर कोर्ट रूम, वकीलों के चैम्बर, पार्किंग और प्रशासनिक ब्लॉक की गहन तलाशी ले रही हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस धमकी को किसी भी तरह से नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता, इसलिए सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत तुरंत परिसर को खाली कराना अनिवार्य था.

वकीलों ने उठाए सवाल

बार काउंसिल के सदस्यों ने इस घटना को न्यायपालिका पर दबाव बनाने का प्रयास बताया है. वकीलों ने कहा कि बार-बार की धमकियों से न केवल उनके काम पर असर पड़ रहा है, बल्कि यह न्याय की प्रक्रिया में भी बाधा डाल रहा है. एक वकील ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमें हर दूसरे दिन ऐसी दहशत के बीच काम करना पड़ रहा है. सरकार को इस मामले में स्थायी समाधान निकालना होगा और दोषी को तुरंत पकड़ना होगा.' 

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'ऑल क्लियर' बोलने तक प्रवेश वर्जित

फिलहाल, पुलिस तकनीकी सर्विलांस और इंटेलिजेंस इनपुट के जरिए धमकी के स्रोत तक पहुंचने की कोशिश कर रही है. जब तक तलाशी अभियान पूरा नहीं हो जाता और सुरक्षा एजेंसियां 'ऑल क्लियर' नहीं देतीं, तब तक कोर्ट परिसर में प्रवेश वर्जित रहेगा.

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