Ganesh Chaturthi 2024: राजस्थान में फतेहपुरी गेट स्थित प्रथम पूज्य विघ्नहरण सीकर (Sikar) शहर के सबसे प्राचीन एवं प्रसिद्ध गणेश जी मंदिर (Ganesh Mandir) की मूर्ति की महिमा अपरंपार है. मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की मूर्ति चमत्कारों से भरपूर है. शहर के फतेहपुर गेट स्थित गणेश मंदिर में सदियों पहले स्थापित इस मूर्ति की सबसे रोचक बात यह है कि यह मूर्ति मिट्टी से बनी है.इसके बाद भी इसका जलाभिषेक करने यह पानी में नहीं पिघलती. जिस स्थान पर यह मूर्ति स्थापित की गई है वहां मानसून के मौसम में खूब बारिश होती है. जिसके कारण मंदिर में पानी पहुंच जाता है और गणेश मूर्ति पूरी तरह पानी में डूबी रहती है. लेकिन फिर भी यह मूर्ति आज तक नहीं पिघली है.
पानी में डूबे रहने के बाद भी नहीं है पिघलती
मंदिर के इतिहास की बात करें तो फतेहपुरी गेट के पास स्थित मंदिर में स्थापित यह मूर्ति प्राचीन काल में दो रियासतों पाटोदा और कासली से होते हुए सीकर शहर में पहुंची थी. इतिहासकार महावीर पुरोपित बताते हैं कि सीकर के राव राजा देवी सिंह अपने दुश्मन कासली रियासत के शासक पूर्ण सिंह को युद्ध में हराने के बाद गणेश जी की मूर्ति को कासली से सीकर लेकर आए थे. राजा देवी सिंह ने 1840 में सीकर पर राज किया था. उस समय कासली रियासत के शासक पूर्ण सिंह बहुत शक्तिशाली और घमंडी थे. वह सीकर के नानी गांव की तरफ बने किला परिसर के गेट पर बार-बार भाले से हमला करते, सैनिकों को डराते और सीकर के राजा को युद्ध के लिए ललकारते.
तोप के गोले भी हो गए थे बेअसर
कासली के अहंकारी शासक पूर्ण सिंह से तंग आकर नानी गेट पर तैनात सैनिकों ने राजा देवी सिंह को सारी बात बताई. इस पर राजा ने अपने एक विश्वस्त सैनिक को कासली के शासक को समझाने के लिए भेजा. कासली के शासक ने उस समय उसकी हत्या कर दी, जिससे क्रोधित होकर राजा देवी सिंह ने कासली राज्य पर आक्रमण कर दिया. राज्य पर तोप के गोले भी दागे गए, जो सभी बेअसर साबित हुए. फिर भी सीकर के राजा ने कई बार कासली पर आक्रमण किया, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद जब सीकर राजा ने इसका कारण पता किया तो सामने आया कि कासली राज्य में गणेश जी की एक चमत्कारिक मूर्ति है, जो कासली राज्य पर आने वाले संकटों को दूर करते हैं. जिसके कारण युद्ध में दागे गए गोले भी बेअसर साबित हो रहे हैं.
कासली से युद्ध जीतकर लाया गया था सीकर
यह जानने के बाद राजा देवी सिंह ने राजपुरोहितों और पंडितों से इस विषय में परामर्श किया. उनकी सलाह पर उन्होंने युद्ध भूमि में घुटनों के बल बैठकर भगवान गणेश को प्रसन्न करने की प्रार्थना की. सीकर के राजा ने कासली राज्य के अहंकार और अपने सेनापति की हत्या करने वाले शासक पूर्ण सिंह को उसके पापों की सजा देने के लिए युद्ध में विजय के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की. जिसके बाद सीकर के राजा ने कासली पर आक्रमण कर दिया और उन्होंने युद्ध में विजय प्राप्त की. इसके बाद कासली राज्य को सीकर राज्य में शामिल कर लिया गया और कासली से प्राप्त चमत्कारी भगवान गणेश की इस मूर्ति को विजय गणेश के नाम से सीकर किले के सामने फतेहपुर गेट के पास स्थापित किया गया. इसीलिए फतेहपुरी गेट को विजय गणेश के नाम से भी जाना जाता है. तब से लेकर आज तक सीकर शहर के फतेहपुर गेट में स्थापित प्रथम पूज्य भगवान गणेश के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती ही गई.
हजारों श्रद्धालु विघ्न हरण के दरबार में लगाते है धोक
सीकर शहर सहित आसपास के इलाके के लोग जब भी शादी विवाह और अन्य शुभ कार्य होता है तो पहला निमंत्रण देने शहर के फतेहपुरी गेट स्थित गणेश जी के पहुंचते हैं.जहां विघ्न हरण गणेश जी को पहला निमंत्रण देकर शुभ कार्य को बिना बाधा के संपन्न करने की प्रार्थना करते हैं. वहीं प्रत्येक बुधवार को हजारों श्रद्धालु विघ्न हरण के दरबार में धोक लगाकर आशीर्वाद लेते हैं तो वही गणेश चतुर्थी पर भी पांच दिवसीय गणेश महोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमें गणेश जी का दुग्धाभिषेक, छप्पन भोग की झांकी, महिला मंगलगीत, महाआरती, जागरण और शोभायात्रा सहित अनेक धार्मिक आयोजन किए जाते हैं.