Rajasthan: नवंबर में भी टोंक के बीसलपुर और ईसरदा बांध के गेट खुले, बनास नदी में तेज बहाव जारी

किसानों और नदी किनारे के निवासियों को जल संसाधन विभाग ने सतर्क रहने की अपील की है, क्योंकि बनास नदी का बहाव सामान्य से अधिक है.

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Rajasthan News: राजस्थान के टोंक जिले से इस बार मानसून की विदाई के बाद भी जल प्रबंधन की एक असामान्य तस्वीर सामने आई है. जिले के दो सबसे बड़े और जीवनरेखा माने जाने वाले बांध— बीसलपुर (Bisalpur Dam) और ईसरदा (Isarda Dam)— के गेट नवंबर महीने में भी खुले हुए हैं, जिसके कारण बनास नदी (Banas River) में पानी का तेज बहाव लगातार जारी है. पिछले दो दशकों में यह पहली बार है जब सर्दी की शुरुआत से ठीक पहले बीसलपुर बांध से पानी की निकासी इस तरह जारी रखी गई है.

104 दिन तक निकासी, अब भी जलस्तर मेंटेन

जयपुर, अजमेर और टोंक सहित राजस्थान के एक बड़े हिस्से की पेयजल आवश्यकता पूरी करने वाला बीसलपुर बांध इस मानसून सत्र में रिकॉर्ड 104 दिन तक पानी की निकासी करने वाला बांध बन गया है. आंकड़ों के अनुसार, बीसलपुर बांध से 06/11/2025 की सुबह तक भी बांध के गेट संख्या 11 को खोलकर 1503 क्यूसेक पानी बनास नदी में छोड़ा जा रहा है. बांध का कुल जलस्तर 315.50 आरएल मीटर (RL Meter) पर मेंटेन किया जा रहा है.

ईसरदा बांध पर दबाव: चार गेट खुले

उनियारा उपखंड में बनेठा के पास बनास नदी पर बने ईसरदा बांध में भी स्थिति समान है. ईसरदा बांध के चार गेट खोलकर पानी की निकासी जारी है, जिसका मुख्य कारण बीसलपुर बांध से आ रहे पानी की तेज आवक है. ईसरदा बांध की गेट संख्या 10, 11, 12, और 14 से पानी छोड़ा जा रहा है. गेट संख्या 11, 12, और 14 को 3 मीटर तक खोला गया है, जबकि गेट संख्या 10 को 2.5 मीटर खोलकर निकासी की जा रही है.

बनास का रौद्र रूप, पानी सीधे चंबल में

बीसलपुर और ईसरदा, दोनों बांधों से छोड़े जा रहे पानी के कारण बनास नदी में तेज बहाव बरकरार है. यह जलधारा आगे जाकर चंबल नदी (Chambal River) में मिल रही है. विशेषज्ञ इसे जल प्रबंधन की एक अनूठी चुनौती मानते हैं. आमतौर पर, नवंबर तक बांधों के गेट बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन इस वर्ष हुई अप्रत्याशित और विलंबित मानसूनी बारिश के कारण जलस्तर को नियंत्रित रखने के लिए यह निकासी जारी रखना जरूरी हो गया है.

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नदी किनारे रहने वाले लोग रहें सतर्क

किसानों और नदी किनारे के निवासियों को जल संसाधन विभाग ने सतर्क रहने की अपील की है, क्योंकि बनास नदी का बहाव सामान्य से अधिक है. टोंक के इन दो बांधों का प्रबंधन न केवल जल सुरक्षा के लिए, बल्कि राजस्थान के कृषि और पेयजल आपूर्ति के दीर्घकालिक संतुलन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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