तारों के जाल से मिल रही मुक्ति, इलेक्ट्रोनिक इंटर लोकिंग सिस्टम में बदल रहे रेलवे स्टेशन; रुकेंगे एक्सीडेंट

Indian Railways: पारंपरिक रूट रिले इंटरलॉकिंग या पैनल इंटर लॉकिंग सिस्टम में जहां बहुत से तारों का जाल और रिले का उपयोग किया जाता है, जबकि ई.आई. प्रणाली में लॉजिक का प्रबंधन करने के लिए सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग किया जाता है.

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Electronic Interlocking System of Railways: देश में बढ़ रहीं ट्रेन दुर्घटनाओं को कम करने और मानवीय भूलों से पार पाने के लिए रेलवे इलेक्ट्रोनिक इंटर लोकिंग सिस्टम प्रणाली ले कर आया है.  इसका प्रयोग देश भर में हो राह है. रतलाम मंडल के 70 स्टेशनों पर इलेक्ट्रोनिक इंटर लोकिंग सिस्टम प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है.

ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन में इंटरलॉकिंग काफी अहम भूमिका निभाता है. ई. आई. आधुनिक टेक्‍टनोलॉजी से युक्‍त एक अत्‍याधुनिक प्रणाली है जो ट्रेन के आवाजाही पर सटीक नियंत्रण करता है और मानवीय भूल  की संभावना को समाप्त करता है.

रतलाम मंडल पर में 103 इंटरलॉक्‍ड रेलवे स्‍टेशन 

भारतीय रेलवे पर तीन तरह के इंटरलॉकिंग आरआरआई (रूट रिले इंटरलॉकिंग), पीआई (पैनल इंटरलॉकिंग) एवं तीसरा ई.आई.(इलेक्‍ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग) कार्यरत है . वर्तमान में भारतीय रेलवे पर ई.आई. का प्रचलन है  जो कि आधुनिक सुविधाओं से युक्‍त है. रतलाम मंडल में भी विद्युत सिगनलिंग प्रतिष्ठानों को नए कंप्यूटर आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से बदल रहा है. मंडल पर वर्तमान में 103 इंटरलॉक्‍ड रेलवे स्‍टेशन हैं जिसमें 70 स्‍टेशनों पर ई.आई. प्रणाली कार्यशील है.

पिछले दो सालों में 25 से ज्यादा स्‍टेशनों पर आरआरआई/पीआई के स्‍थान पर आधुनिक ई.आई. प्रणाली को लगाया गया है. पिछले कुछ समय पहले ही मुम्‍बई-दिल्‍ली मुख्‍य रेल मार्ग जो भारत के व्‍यस्‍ततम रेल मार्गों में से एक है के मध्‍य में स्थित रतलाम स्‍टेशन पर भी ई.आई. कार्य को सफलतापूर्वक संपन्‍न किया गया है. इसकी उपयोगिता को देखते हुए मंडल के शेष स्टेशन भी निकट भविष्य में एडवांस इलेक्ट्रॉनिक इंटर लॉकिंग(ईआई) प्रणाली से युक्‍त हो जाएंगे.

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कैसे अलग है इलेक्ट्रोनिक इंटर लोकिंग सिस्टम

ई.आई.सिगनल, पॉइंट और लेवल-क्रॉसिंग गेटों को नियंत्रित करने के लिए कंप्यूटर आधारित सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करता है. पारंपरिक रूट रिले इंटरलॉकिंग या पैनल इंटर लॉकिंग सिस्टम में जहां बहुत से तारों का जाल और रिले का उपयोग किया जाता है, जबकि ई.आई. प्रणाली में लॉजिक का प्रबंधन करने के लिए सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग किया जाता है. यह यार्ड में सिगनलिंग गियरसे प्राप्त इनपुट को पढ़ता है तक सेफ और ऑपरेशनल कंसोल (वीडीयू-विजुअलडिस्‍प्‍ले यूनिट) से प्राप्त आदेशों को फेल-सेफ तरीके से संपादित करता है.

इस तकनीक से कई लाभ हुए हैं जिसका संरक्षा पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है और साथ ही ट्रेनों की गति बढ़ाने में भी मदद मिली है. इससे स्‍टेशनों मास्‍टरों की कार्य प्रणाली में सुधार हुआ है क्‍योंकि सारा सिस्‍टम कम्‍प्‍यूटर की स्‍क्रीन पर समाहित हो जाता है जिससे इसे संचालित करना काफी सरल होता है तथा पारंपरिक पैनल के बटनों विफलता की संभावना को कम करता है. 

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