कभी काले पानी की सजा के नाम से पहचान रखने वाला बांसवाड़ा जिला जल्द ही सोने की खान वाले प्रदेश के पहले और देश के प्रमुख स्थान में शामिल हो जाएगा. बांसवाड़ा के भूखिया जगपुरा क्षेत्र में स्वर्ण के भण्डार मिलने के साथ ही राज्य सरकार द्वारा इस खान की नीलामी का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण नहीं हो पा रहा था. हाई कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा प्रभावी तरीके से राज्य का पक्ष रखने का परिणाम रहा है कि न्यायालय ने प्रतिपक्ष के आवेदन को खारिज कर दिया है. जिसके चलते राज्य की पहली स्वर्ण खान की नीलामी हो सकेगी.
1 हजार 34 करोड़ के स्वर्ण भंडार
एसीएस माइंस वीनू गुप्ता ने बताया कि बांसवाड़ा के भूखिया जगपुरा में सोने की खान की नीलामी के लिए आवश्यक औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार स्वर्ण, तांबा और कोबाल्ट व निकल के डिपोजिट हैं. उन्होंने बताया कि यहां 1 लाख 34 हजार करोड़ से भी ज्यादा रुपये के स्वर्ण भण्डार और 7720 करोड़ के तांबे के भण्डार संभावित हैं.
223 टन स्वर्ण धातु मिलने की संभावना
माइंस के निदेशक संदेश नायक ने बताया कि बांसवाड़ा के घाटोल तहसील के भूखिया जगपुरा में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1990-91 में किए गए एक्सप्लोरेशन के दौरान स्वर्ण के संकेत मिलने पर 69.658 वर्ग किलोमीटर के तीन ब्लॉक एक्सप्लोरेशन के लिए आरक्षित किए गए थे. इस क्षेत्र में एक्सप्लोरेशन के दौरान 15 ब्लॉकों में 171 बोर होल्स में 46037.17 मीटर ड्रिलिंग करने पर स्वर्ण भण्डार पाये गये. बांसवाड़ा के भूखिया जगपुरा में एक्सप्लोरशन परिणामों के अनुसार 14 ब्लॉकों में 1.945 ग्राम/टन के लगभग 114.76 मिलियन टन सोने के भण्डार का आकलन किया गया है. इस क्षेत्र में 223.63 टन स्वर्ण धातु मिलने की संभावना है.
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
उन्होंने कहा कि स्वर्ण माइंस के ऑक्शन से जहां प्रदेश का स्वर्ण माइनिंग में पहचान होगी वहीं राज्य सरकार को करोड़ो रुपए के राजस्व के साथ ही रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे. उच्च न्यायालय द्वारा प्रकरण के निस्तारण के साथ ही विभाग ने ऑक्शन की आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करना आरंभ कर दिया है.