Govardhan Puja Time: आज 22 अक्टूबर को है गोवर्धन पूजा, जानें अन्नकूट और गाय पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त, इस विधि से करें पूजन

Govardhan Puja Kab Hai: पंचांग और ज्योतिषीय गणना के अनुसार, गोवर्धन पूजा हमेशा उदया तिथि में मनाना शुभ माना जाता है. इसलिए, गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को ही मनाया जाएगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा कब है? नोट करें अन्नकूट और गाय पूजा का शुभ मुहूर्त, जानिए इंद्र के अहंकार की कथा
NDTV Reporter

Govardhan Puja Kab Hai: दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला, प्रकृति और भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गोवर्धन पूजा का महापर्व आज (22 अक्टूबर 2025) बुधवार को मनाया जा रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आज सूर्योदय के साथ ही विद्यमान है, इसीलिए आज ही पूरे विधि-विधान से अन्नकूट और गौ-पूजा की जाएगी. गोवर्धन पूजा के लिए दो अत्यंत शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जिनमें पूजा करना दीर्घायु, सुख और समृद्धि प्रदान करता है:

गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त (22 अक्टूबर 2025)

पंचांग के अनुसार, प्रातःकाल मुहूर्त पूजा के लिए सर्वोत्तम माना गया है, जिसकी अवधि सुबह 06 बजकर 26 मिनट से 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. इसके अतिरिक्त, भक्त सायंकाल मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं, जिसका समय दोपहर 03 बजकर 29 मिनट से शाम 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इन दोनों समयों में विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

प्रतिपदा तिथि 22 अक्टूबर को रात 8 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी.

गोवर्धन पूजा का महत्त्व और अन्नकूट का विधान

गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन घर की सुख-समृद्धि के लिए गोवर्धन पर्वत का प्रतीकात्मक रूप गाय के गोबर से बनाया जाता है, जिसकी पूजा कर 7 बार परिक्रमा की जाती है.

गौ-पूजन क्यों है अनिवार्य?

यह दिन गौ-सेवा के लिए भी समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गायों को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. आज के दिन गायों को स्नान कराकर, तिलक लगाकर, माला पहनाना और उन्हें गुड़, चारा या दाल खिलाना अत्यंत शुभकारी होता है. गौ-सेवा से घर में आरोग्य और धन-धान्य की वृद्धि होती है.

Advertisement

जब श्रीकृष्ण ने 7 दिन तक पर्वत उठाया

गोवर्धन पूजा की कथा भगवान श्रीकृष्ण की उस लीला को याद दिलाती है, जब उन्होंने देवराज इंद्र के घमंड को तोड़ा था. ब्रजवासियों के इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने से क्रोधित होकर इंद्र ने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी थी. तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों और पशुधन को जल प्रलय से बचाया था. 7 दिन तक पर्वत धारण करने के बाद इंद्र ने अपनी भूल स्वीकार की और क्षमा मांगी. तभी से यह दिन अहंकार पर भक्ति की विजय का प्रतीक बन गया.

गोवर्धन पूजन विधि

सुबह शुभ मुहूर्त में गोवर्धन महाराज को छप्पन भोग (अन्नकूट) अर्पित करें. धूप-दीप, फल और मिठाई चढ़ाकर अंत में आरती करें और इस महाप्रसाद को पूरे परिवार व समाज में वितरित करें. गोवर्धन पूजा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!

Advertisement

ये भी पढ़ें:- भाई दूज कब है? नोट कर लें तिलक का शुभ मुहूर्त