Rajasthan News: राजस्थान में जहां सरकार कई नई योजनाओं को लागू करने का ऐलान कर रही है. शिक्षा विभाग में तो कई योजनाएं हैं जिसके विस्तार की चर्चा हो रही है. जैसे ही सरकारी स्कूल में अब यूनिफॉर्म के साथ स्वेटर और जूते मुफ्त में बांटने का ऐलान किया गया है. लेकिन योजनाओं का कितना क्रियान्वयन हो रहा है, इसके बारे में शायद ही किसी को जानकारी होती है. ऐसी ही एक योजना है जो स्कूल में बच्चों के नामांकन बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी. लेकिन धरातल पर यह योजना दम तोड़ने के कगार पर है. इस योजना का नाम है मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना.
राजस्थान में मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना को साल 2022 में शुरू किया गया था. यानी यह योजना पूर्व की गहलोत सरकार के समय शुरू की गई थी. लेकिन अब इस योजना का जिलों में बहुत ही बुरा हाल है. राजस्थान में आई नई सरकार इस योजना के बारे में बात तक नहीं कर रही है. जबकि सरकार ने पुरानी योजना के नाम को भी बदल दिया है.
पहली से 8वीं के छात्र के लिए है यह योजना
दरअसल, कुपोषण से निजात दिलाने और सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए प्रदेश में पहली से आठवीं तक के बच्चे के लिए 2022 में मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना शुरू हुई थी. लेकिन अब यह योजना दम तोड़ती नजर आए रही हैं. चित्तौड़गढ़ जिले के 1864 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक सरकारी स्कूल के 1 लाख 37 हजार से अधिक बच्चों को करीब पिछले चार माह से योजना के तहत दूध नहीं मिल रहा हैं. वहीं सरकार की मोटा अनाज देने की घोषणा सिर्फ घोषणा बनकर रह गई. जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले में पहली से आठवीं तक सरकारी स्कूल के एक लाख 37 हजार 436 छात्र अध्ययन रत हैं. जिनमें पहली से 5वीं तक के 73 हजार 697 और कक्षा 6 से आठ तक के 58 हजार 544 बच्चे अध्ययन रत हैं. इसके अलावा मदरसा के 2343 और संस्कृत शिक्षा विभाग के 1778 स्कूली बच्चे शामिल हैं. इन बच्चों के लिए इस सत्र में दूध नहीं मिल सका.
भजनलाल सरकार ने बदला था योजना का नाम
गहलोत सरकार में मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना 2022 में शुरू हुई थी. प्रदेश में सरकार बदलने के बाद भजनलाल सरकार ने इस योजना का नाम पन्नाधाय बाल गोपाल दूध योजना रख दिया. पहले इस योजना में अध्यापकों को अपने स्तर पर ही दूध लाने और बच्चों को वितरण करना था. ऐसे में टीचर थैली का दूध या डेयरी से खुला दूध लेकर बच्चों को गर्म कर दिया जाता था. दूध गर्म करने वाले रसोईया को एक माह के पांच सौ रुपए देने का प्रावधान हैं. इसके बाद नए दिशा-निर्देशों में सॉलिड मिल्क पाउडर स्कूलों में उपलब्ध करवाया गया और स्कूली बच्चों को पाउडर वाला दूध वितरण किया गया.
जयपुर रिपोर्ट भेजने पर भी नहीं हुई डिमांड पूरी
सरकारी स्कूलों में जब पन्नाधाय बाल गोपाल दूध योजना के बारे में बच्चों से बातचीत की गई तो सामने आया कि इस सत्र में उन्हें दूध वितरण नहीं किया गया. बच्चों ने बताया कि पहले उन्हें सरस थैली का दूध पिलाया जाता था जो अच्छा लगता था. लेकिन अब उन्हें पाउडर वाला दूध से परेशानी होती हैं. इधर अतिरिक्त जिला अधिकारी प्रारम्भिक ओम प्रकाश मेनारिया ने बताया कि जिले के एक लाख 37 हजार 436 बच्चों के लिए पन्नाधाय बाल गोपाल दूध योजना के तहत दूध की डिमांड की रिपोर्ट जयपुर स्तर पर भिजवाई गई हैं. वहीं सरकार की मोटा अनाज की घोषणा के बावजूद अभी मोटा अनाज नहीं आया हैं.
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