Ground Report Tonk: भीषण गर्मी के बीच अस्पताल में बदहाली, कहीं बेंच तो कहीं जमीन पर लेटाकर हो रहा मरीजों का इलाज

टोंक जिला मुख्यालय के सआदत अस्पताल (Saadat Hospital) में मरीजों के बढ़ते तादाद से अस्पताल में व्यवस्थाओं की सांसे फूलने लगी है.

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Rajasthan Tonk Hospital: राजस्थान में पूरे देश में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ रही है. यहां आसमान से आग बरस रही है जिससे लोग बेहाल हो रहे हैं. वहीं हीट स्ट्रोक के साथ-साथ मौसमी बीमारियों के मरीज की बढ़ती तादाद अब अस्पतालों में देखने को मिल रही है. राजस्थान के टोंक जिले का हाल कुछ ऐसा ही दिख रहा है. जहां मरीजों के बढ़ते तादाद से अस्पताल में व्यवस्थाओं की सांसे फूलने लगी है. टोंक जिला मुख्यालय के सआदत अस्पताल (Saadat Hospital) में हीट स्ट्रोक के बढ़ते मरीजों के लिए अलग वार्ड खोला गया है. इसके लिए अलग से मेडिसिन और आइस पैक की व्यवस्था की गई है. लेकिन प्रतिदिन 2500 से 3000 तक मरीज आउटडोर में पहुंच रहे हैं. ऐसे में अस्पताल में कहीं जमीन पर तो कहीं बेंच पर लेटाकर मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

सअदात अस्पताल में मेडिकल वार्ड में 45 बेड की जगह 125 से 150 मरीज भर्ती होने के बाद कई मरीजों को बेड नसीब नहीं हो पा रहे हैं.ऐसे में बेंचो पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है. वहीं स्टाफ की कमी से जूझते सआदत अस्पताल सरकारों ओर जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के चलते खुद अपने ही मर्ज की दवा को तरस रहा हो. 45 से 47 डिग्री तापमान के बीच अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या और हालात काफी दयनीय दिख रही है.

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नियमों के तहत अस्पताल में स्टॉफ नहीं

सरकारें आती है और चली जाती है लेकिन व्यवस्थाओं में सुधार पर ध्यान किसी का नजर नहीं आता है. सचिन पायलट की विधानसभा टोंक जिला मुख्यालय पर मौजूद सआदत अस्पताल और जनाना अस्पतालों के हालात यह है कि मरीजो की संख्या में पिछले कुछ सालों में खूब इजाफा हुआ है. लेकिन 275 बेड वाले अस्पताल की दोनों इकाइयों में महज 48 डॉक्टर्स ओर 140 के करीब नर्सिंग स्टाफ मौजूद हैं. जब कि आदर्श परिस्थियों के हिसाब से यहां लगभग 500 नर्सिग स्टाफ होना चाहिए. वहीं बात अगर डब्लूएचओ के नियमों की कि जाए तो एक बेड पर 3 स्टाफ होना चाहिए. वहीं आईसीयू में एक बेड पर एक नर्सिग स्टाफ जरूरी है.

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अस्पताल में आवश्यक सुविधाओं का अभाव

भीषण गर्मी के बीच अस्पताल में पुराने ढर्रे पर ही सुविधाएं नजर आती है गर्मी और हीट स्ट्रोक वाले नए वार्ड में दो कूलर लगे हैं. जबकि वह वार्ड वातानुकूलित होना चाहिए. लेकिन मेडिकल ओर सर्जिकल वार्ड में एसी लगाने की बात तो खूब होती है. लेकिन आज भी डक्टिंग, कूलर ओर पंखों के सहारे मरीज इलाज करवाने को मजबूर है. पीने के पानी को अस्पताल की टंकी जीर्ण शीर्ण है. जिसकी कई पत्र लिखने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई है. हालात यह है कि मेडिकल स्टाफ वाटर खरीदकर पानी पी रहे हैं. तो मरीजों के साथ क्या होंगे हालात समझा जा सकता है.

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प्रभारी सचिव,एडिशनल डायरेक्टर और जिला कलेक्टर ने किये निरीक्षण

टोंक जिला मुख्यालय पर सआदत अस्पताल का हाल जानने सरकार के आदेश पर जिला प्रभारी सचिव प्रकाश चंद शर्मा ने मंगलवार को सआदत अस्पताल और मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का निरीक्षण किया. लेकिन अस्पताल प्रसाशन निरीक्षण कार्यक्रम से पहले ही अलर्ट मोड़ पर था और यह निरीक्षण कार्यक्रम महज औपचारिकता जैसा नजर आया. जिस वार्ड में पैर रखने की जगह नहीं होती वहां मरीज बेंचो पर लेटे नजर तो आये. लेकिन इन हालातों पर बात करने की जहमत किसी ने नहीं उठाई और निरीक्षण के दौरान प्रभारी सचिव ने हीट वेव, मौसमी बीमारियों सहित आपातकालीन व्यवस्थाओं एवं सेवाओं का जायजा लेने की बात करते हुए चिकित्सा अधिकारियों को अस्पताल में आने वाले रोगियों को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने के दिए निर्देश देते नजर आए. जबकि मीडिया से उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देश पर पेयजल ओर चिकित्सा सुविधाओं को लेकर निरीक्षण भी किया है और मीटिंग भी ली है जो भी कमियां पाई गई है उसमें सुधार किया जाएगा. हमारा मकसद आमजन को राहत प्रदान करना है इससे पहले जिला कलेक्टर सोम्या झा ओर चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने भी निरीक्षण किये हैं. लेकिन हालात जस के तस नजर आते हैं.

प्रमुख चिकित्सा अधिकारी बी.एल.मीणा ने कहा टोंक के सआदत अस्पताल वह महावीर मातृ चिकित्सालय के पीएमओ बीएल मीणा ने कहा कि गर्मी से मरीजो की तादाद में इजाफा हुआ है और आउटडोर वह भर्ती मरीज बढ़े हैं. हमने अपनी ओर से सभी इंतजाम किए हुए है. हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है. लेकिन यह भी सच है कि नर्सिंग स्टाफ की कमी है. लेकिन जो भी संसाधन है हम उसके साथ गर्मी के इस मौसम में तैयार है.

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