दिव्यांग अजय गर्ग के पास है डाक टिकटों और एंटीक आइटमों का अनोखा कलेक्शन, दर्ज है रिकॉर्ड

धौलपुर के दिव्यांग अजय गर्ग ने कई देशों के डाक टिकटों, सिक्कों, नोटों, किताबों और यूनिक आइटम का बेहद अनोखा कलेक्शन बनाया है. वो इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड और लिम्का बुक रिकॉर्ड में भी अपना नाम दर्ज़ करा चुके हैं.

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अपने संग्रह के साथ अजय गर्ग
धौलपुर:

राजस्थान के धौलपुर जिले के छोटे से कस्बे बाड़ी के दिव्यांग अजय गर्ग ने सभी परेशानियों को पीछे छोड देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. अजय ने करीब 190 देशों की डाक टिकटें, 80 देशों के सिक्के, 35 देशों के रुपये, 126 देशों में जारी हुए महात्मा गांधी की डाक टिकटें, 1947 से 2019 तक की भारत की सभी डाक टिकटें और ब्रिटिश टाइम की 80 डाक टिकटों का संग्रह किया है.

इसके अलाव देश का पहला रंगीन पंचतंत्र सोविनियर सिक्का, जो हाल ही में जारी किया गया था, ओमान देश का एक विशेष 100 न्यूड स्टाम्प पैक, सोने की 25 भारतीय टिकटें, एंटीक आइटम्स, विभिन्न देशों के मैच बॉक्स, किताबें जैसे कई दुर्लभ चीजों का संग्रह किया है.

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अपने इस संग्रह की वजह से अजय ने देश के नामी संग्रहकर्ता के रूप में अपना नाम दर्ज कराया है. इस उपलब्धि के लिए अजय को प्रदेश स्तर पर जयपुर फिलेटलिक सोसायटी व मुद्रा परिषद राजस्थान द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. वहीं अजय अपन नाम, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड और लिम्का बुक रिकॉर्ड में भी दर्ज करा चुके हैं.

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कैसे लगा अजय को टिकटों के कलेक्शन का शौक?
अजय गर्ग का जन्म 24 मई 1979 को बाड़ी में हुआ. 6 महीने की उम्र में पोलियों के शिकार होने की वजह वो दिव्यांग हो गए. जयपुर में लगे एक डाक टिकट प्रदर्शनी देखने के बाद, अजय को डाक टिकट संग्रह करने का शौक लगा. स्कूल के दिनों से ही अजय ने न्यूज पेपर में आने वाली टिकटों का संग्रह करना शुरू किया, अजय को डाक टिकट संग्रह करने कि पूरी जानकारी एक प्रदर्शनी देखने के दौरान टिकट के बड़े संग्रहकर्ता स्वर्गीय आनंद मित्तल से मिली. अजय मुद्रा व डाक टिकिटों का कलेक्शन पिछले 25 सालों से कर रहे हैं. अजय ने बताया कि उनके एक मित्र अरुण मंगल हैं, जो हमेशा उनकी मदद करते हैं.

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बनाना चाहते हैं  म्यूजियम
संग्रहकर्ता अजय गर्ग की इच्छा है कि वह धौलपुर में एक छोटा सा म्यूजियम बनाएं, जिसमें वह अपनी संग्रह की हुई चीजों को वहां हमेशा के लिए रखेंगे. जिससे नई पीढ़ियां जो मोबाइल, टीवी और इंटरनेट में व्यस्त रहती हैं, वे इन्हें देखें और अपनी विरासत व इतिहास को जानें. अजय संग्रह करने के साथ ही धौलपुर जिले के कई स्कूलों में फिलेटलिक वर्कशॉप भी करा चुके हैं. इसके साथ ही लखनऊ, आगरा, ग्वालियर, जयपुर समेत अन्य कई शहरों में डाक टिकटों की प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं.

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