राजस्थान बजट पर बोले बेनीवाल- पेड़ों के अंधाधुंध कटाई पर खामोश सरकार का 10 करोड़ पौधे लगाने का ऐलान

बेनीवाल ने कहा, बजट भाषण में बाजरे का जिक्र वित्त मंत्री ने किया लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि राजस्थान में बहुतायात में होने वाले बाजरे को एमएसपी के दायरे में होने के बावजूद MSP पर खरीदा नहीं जा रहा है.

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Hanuman Beniwal on Budget: राजस्थान में भजनलाल सरकार ने अपना दूसरा पूर्ण बजट पेश कर दिया है. बजट 2025-26 में कई बड़े ऐलान किये गए हैं. हालांकि विपक्ष की ओर से इस बजट को नकारा जा रहा है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाली ने भजनलाल सरकार के इस बजट को जनता और किसानों को गुमराह करने वाला बताया है. बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान की विधानसभा में आज पेश किए गए बजट में जन-सरोकार और जन-भावना का अभाव नजर आया. राज्य सरकार ने विगत बजट की अधिकतर घोषणाओं को ही पूरा नहीं किया और आज फिर से राजस्थान की जनता को आंकड़ों के मायाजाल में गुमराह करने का प्रयास  बजट भाषण में किया गया है. 

बेनीवाल ने कहा, बजट भाषण में बाजरे का जिक्र वित्त मंत्री ने किया लेकिन दुर्भाग्य इस बात का है कि राजस्थान में बहुतायात में होने वाले बाजरे को एमएसपी के दायरे में होने के बावजूद MSP पर खरीदा नहीं जा रहा है.

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सरकार ने राज्य को कर्ज के बोझ में लाद दिया

हनुमान बेनीवाल ने कहा, विगत बजट के अनुमान के अनुसार राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ. राजस्थान सरकार का वित्तीय कुप्रबंधन जगजाहिर है और बजट को पढ़कर ऐसा लगा कि सरकार ने केवल राज्य को कर्ज के बोझ में लादने के अलावा कोई नया कार्य नहीं किया है. बजट से प्रदेश की जनता को बड़ी अपेक्षाएं होती है लेकिन आम आदमी की अपेक्षाओं पर यह बजट खरा नहीं उतरा है.

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एक तरफ बजट भाषण में 10 करोड़ पौधे लगाने की घोषणा की गई वहीं दूसरी तरफ कंपनियों द्वारा राजस्थान में खेजड़ी सहित अन्य वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार खामोश है. 

फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बिजली उपभोक्ताओं से छल

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में महाभारत के शांतिपर्व के श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा कि " राजा को चाहिए कि परिस्थिति और समय के प्रतिकूल  प्रजा पर कर का बोझ ना डाले " जबकि मैं उनको स्मरण दिलाना चाहता हूं कि फ्यूल सरचार्ज के नाम पर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के साथ छल करते हुए सरकार की बिजली कम्पनियों द्वारा 1319 करोड़ रुपए की ज्यादा वसूली कर ली गई. इसलिए नैतिकता को ध्यान में रखते हुए ही सरकार को ऐसी बात करनी चाहिए. मगर सरकार ने सत्ता के घमंड में आम आदमी और गरीब वर्ग के हितों को इस बजट में दरकिनार कर दिया है.

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पेट्रोल -डीजल की कीमतों में कमी लाने तथा महंगाई को नियंत्रित करने का कोई ठोस उपाय सरकार ने नहीं किया. वहीं खनिज नीति में बदलाव करके किसानों को अपनी खातेदारी में छोटे खनन पट्टे देने की बात को भी इस बजट में नजरअंदाज किया गया है.

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