Hanumangarh ethanol factory protest: हनुमानगढ़ के टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ आंदोलन का मुद्दा लोक सभा में भी गूंजा. बुधवार (11 दिसंबर) को नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने शून्यकाल में मामला उठाया. उन्होंने पुलिस के लाठीचार्ज की निंदा करते हुए कहा कि सरकार ने दमन से आंदोलित लोगों की आवाज को कुचलने का प्रयास किया. उसको देखते हुए तत्काल वहां के कलेक्टर और एसपी को एपीओ करना चाहिए. सांसद ने यह भी कहा कि इस फैक्ट्री में राजस्थान से आने वाले किसी केंद्रीय मंत्री की हिस्सेदारी भी है. सांसद ने कहा कि इस आंदोलन में ग्रामीण, किसान और सामाजिक संगठन शामिल हैं और सभी लोग इस फैक्ट्री से निकलने वाले प्रदूषण, उपजाऊ भूमि के होने वाले बड़े नुकसान और पानी की गुणवत्ता बिगड़ने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. दुर्भाग्य इस बात का है कि राजस्थान की सरकार फैक्ट्री मालिकों के दबाव में इस फैक्ट्री को पर्यावरण के अनुकूल बताकर आंदोलन को लाठी के दम पर कुचलने का प्रयास कर रही है जो अनुचित है.
लाठीचार्ज में 50 से अधिक किसान घायल- बेनीवाल
आरएलपी सुप्रीमो ने कहा कि रासायनिक प्रक्रियाओं से निकलने वाले धुएं और गैसों से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकते हैं. सबसे बड़ी बात इतने बड़े प्रोजेक्ट पर लोगों की राय लिए बिना ही निर्णय लेना लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है. सांसद ने कहा कि पुलिस के लाठीचार्ज में 50 से अधिक किसान घायल हुए, एक विधायक और कई नेता भी घायल हुए.
"पानी को जहर और हवा को धुआं बना सकती है फैक्ट्री"
आंदोलन को जायज बताते हुए बेनीवाल ने कहा, "जिस धरती ने अनाज दिया, पानी और जीवन दिया, उस धरती पर एक ऐसी फैक्ट्री थोपने की कोशिश की जा रही है जो पानी को जहर, हवा को धुआं और मिट्टी को केमिकल बना सकती है. इस इथेनॉल फैक्ट्री के अपशिष्ट से मिट्टी और फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. साथ ही भू-जल प्रदूषण का खतरा बढ़ेगा. इस क्षेत्र में पहले ही पानी की समस्या है, ऐसे में औद्योगिक प्रदूषण स्थिति और बिगाड़ सकता है."
सरकार की ओर से दी गई थी ये प्रतिक्रिया
वहीं, आंदोलन पर भजनलाल सरकार में मंत्रियों की प्रतिक्रिया भी सामने आ चुकी हैं. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने इस पूरे आंदोलन को कांग्रेस प्रायोजित बताया और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया. साथ ही कहा था कि किसानों के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं.
संसदीय कार्य एवं विधि मंत्री जोगाराम पटेल ने आंदोलन की टाइमिंग पर ही सवाल उठाते हुए कहा था कि सरकार के 2 साल पूरे हो रहे हैं, इसीलिए यह समय चुना. जबकि किरोड़ी लाल मीणा ने किसानों से बातचीत की अपील करते हुए कहा था कि अगर किसान नहीं आ सकते थे तो मुझे धरनास्थल पर बुला लेते, लेकिन लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.