Harsha Richaria News: हर्षा रिछारिया के फूट-फूट कर रोने पर संतों में मचा बवाल, सपोर्ट में आए संत ने कहा- 'वह गुरु के साथ थी'

हर्षा रिछारिया के फूट-फूट कर रोने और महाकुंभ को छोड़ने के ऐलान के बाद अब संतों में बवाल मचा हुआ है. सपोर्ट में आए संत ने कहा वह गुरु के साथ थी. वहीं आनंद स्वरूप ने फिर से बयान देते हुए कहा कि मैं फिर रोकूंगा.

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Harsha Richaria News: प्रयागराज महाकुंभ में हर्षा रिछारिया (Harsha Richaria) पहले 'सबसे सुंदर साध्वी' को लेकर चर्चाओं में आई थी. लेकिन जिस तरह से हर्षा रिछारिया वायरल हुई, उनके लिए मुसीबत बन गई.  निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरि जी महाराज की शिष्या बताने वाली हर्षा रिछारिया के खिलाफ संतों ने बयान दिया है. जिसके बाद हर्षा रिछारिया ने महाकुंभ छोड़ने का ऐलान किया है. हालांकि हर्षा रिछारिया ने संत आनंद स्वरुप पर उन्हें कुंभ छोड़ने के लिए विवश करने का आरोप लगाया है.

हर्षा रिछारिया के साथ क्या हुआ

संत आनंद स्वरूप जी ने एक बयान में कहा था कि धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक है. इससे बचना जरूरी है क्योंकि यह कदम समाज में गलत संदेश फैलाने वाला है. उन्होंने कहा कि साधु-संत इसे नहीं रोकते हैं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि साधु-संतों को त्याग की परंपरा का पालन करना चाहिए, न कि भोग की. इसके बाद हर्षा रिछारिया को लेकर उन्होंने कहा, आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा मॉडल को रथ पर बैठाकर अमृत स्नान पर जाना समाज के लिए उचित नहीं है. इससे श्रद्धालुओं की आस्था धीरे-धीरे कमजोर हो रही है. यह भी कहा कि साधु-संतों को समाज को सही दिशा में ले जाने का प्रयास करना चाहिए, न कि धर्म का दिखावा करना चाहिए.

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इस टिप्पणी के बाद ही हर्षा रिछारिया ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें महाकुंभ छोड़ने का ऐलान किया और वह फूट-फूट कर रोते हुए संत आनंद स्वरूप पर महिला पर ऐसी टिप्पणी करने का गंभीर आरोप लगाया.

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हर्षा ने वीडियो पोस्ट कर क्या कहा

हर्षा रिछारिया फूट-फूट कर रोते हुए कहा कि शर्म आनी चाहिए कि एक लड़की जो धर्म से जुड़ने आई थी, धर्म को समझने आई थी, सनातन संस्कृति को समझने आई थी. आपने उसको इस लायक नहीं छोड़ा कि वो पूरे कुंभ में रुक पाए. वो कुंभ जो हमारी जीवन में एक बार आएगा. आपने वो कुंभ एक इंसान से छीन लिया. इसके पुण्य का तो नहीं पता लेकिन ये जो आनंद स्वरुप जी हैं, उनको इसका पाप जरूर लगेगा. यहां कुछ लोगों ने मुझे धर्म से जुड़ने का मौका नहीं दिया. संस्कृति में रमने का मौका नहीं दिया. इस कॉटेज में रहकर मुझे यह फील हो रहा है कि मैंने कोई बड़ा गुनाह कर दिया है. जबकि मेरी गलती नहीं है. पहले मैं आई थी पूरे महाकुंभ में रहने की मंशा से आई थी. पूरे 24 घंटे इसी रूम को देखना पड़ रहा है तो इससे बेटर है कि मैं महाकुंभ से चली जाऊं.

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बता दें, हर्षा रिछारिया जिस संत आनंद स्वरुप पर उन्हें कुंभ छोड़ने के लिए विवश करने का आरोप लगाया वो शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी हैं. 

संत आनंद स्वरूप ने कहा गलत रास्ते पर जा रही थी हर्षा रिछारिया

संत आनंद स्वरूप ने हर्षा रिछारिया पर बयान जारी करते हुए कहा कि, वह गलत रास्ते पर जा रही थी. इसीलिए मैंने उसे रोका. अब हर्षा रिछारिया की सारी असलियत बाहर आ गई है. हर्षा रिछारिया की मां का कहना है कि उसकी अगले महीने शादी होने वाली है. ये सब जानने के बाद भगवा रंग का मजाक बनाते देखना मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता.

अगर हर्षा रिछारिया एक सामान्य लड़की की तरह महाकुंभ मेले में आकर अपने ही गुरु के शिविर में रहती है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर बिना सन्यास लिए हर्षा रिछारिया ने दोबारा त्रिपुण्ड लगाया, तो मैं फिर उसे टोकूंगा, फिर से रोकूंगा.'

बालकानंद गिरि ने हर्षा रिछारिया का किया सपोर्ट

संत बालकानंद गिरि ने इस मामले पर कहा है कि ऐसा क्यों कहा गया यह तो पता नहीं, लेकिन यदि हम परंपरागत देखें जो संन्यासी लोग स्नान के लिए जाते हैं अमृत स्नान में तो उनके भक्त तो उनके साथ जाते ही हैं. केवल सन्यासियों के साथ ही नहीं भगवान के साथ भी भक्त जाते हैं.. भगवान के साथ भी भक्त रहते हैं. तो कोई भक्त की श्रद्धा है.. कोई भी किसी प्रकार के भक्त की आस्था है तो वह उस आस्था के साथ अपने गुरु के साथ स्नान करने जा रहा है तो वह उस समय गुरु भक्त है उसके अस्तित्व को छोड़कर उसके व्यक्तित्व की चर्चा करेंगे. उसने संपूर्ण भौतिकता को छोड़कर के और आध्यात्मिकता को अपनाया. आध्यात्मिकता की शक्तियों के साथ स्नान किया. मैं कैलाशा नंद जी को साधुवाद दूंगा कि उन्होंने उसके मन को बदलकर के उसे आध्यात्मिकता में लाकर उसे अमृत स्नान कराया.

हर्षा ने बालकानंद गिरी के सपोर्ट के बाद कहा, लोगों का प्यार जिसकी किस्मत में हो मिल ही जाता है. कहीं भी, पर अपनी पब्लिसिटी बढ़ाने के लिए अपने ही धर्म के बारे में जानने को लेकर या किसी या बात पर टिप्पणी करना गलत है. मतलब आप अपने धर्म का मजा खुद बना रहे हैं.

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