अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावे वाली याचिका पर कल सुनवाई, रोक लगाने के लिए HC में लगी याचिका 

राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता अखिल चौधरी कहते हैं, "अजमेर शरीफ दरगाह मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले शुरू जरूर हुई है लेकिन हाईकोर्ट अभी भी इस सुनवाई पर रोक लगा सकता है. इसी को ध्यान रखते हुए अंजुमन कमिटी हाईकोर्ट पहुंची है.

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अजमेर दरगाह मामले में शनिवार को अजमेर के सेशन कोर्ट में सुनवाई होगी.

Ajmer Dargah Conflict: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने के मामले में कल अजमेर सिविल कोर्ट में सुनवाई होगी. इस सुनवाई से पहले गुरुवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों पर किसी तरह के आदेश/ अंतरिम आदेश पर रोक लगा रखी है. इसलिए सुनवाई पर रोक लगनी चाहिए. हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. इसलिए कल सिविल कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी निगाहें टिक गई हैं.

सबसे पहले मामला समझिए 

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. सिविल कोर्ट में चल रही सुनवाई को रोकने की मांग की गई. इस मामले में कल 19 अप्रैल को अजमेर के सिविल कोर्ट में सुनवाई होनी है. इस पर रोक लगाने के लिए अंजुमन कमिटी ने हाईकोर्ट का रुख किया है.

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खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जागदान ने अपनी याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी भी मामले में सुनवाई पर रोक लगा रखी है. फिर भी सिविल कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है. 

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने ?

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की विशेष पीठ ने 12 दिसंबर को धार्मिक स्थलों के खिलाफ नए मुकदमों और सर्वेक्षणों के आदेश पर रोक लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी), शाही ईदगाह (मथुरा), और संभल की जामा मस्जिद से जुड़े मुकदमों सहित देशभर में इस प्रकार के मामलों पर रोक लगाई थी. कोर्ट ने यह भी कहा था, "जब मामला हमारे सामने लंबित है, तो यह उचित नहीं होगा कि अन्य अदालतें इन मामलों की सुनवाई करें." याचिकाकर्ताओं ने इसी को आधार बनाया है. 

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वकील विष्णु गुप्ता ने शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका दायर की थी

याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आशीष सिंह और वागीश कुमार ने इस पर रोक लगाने की मांग की. हालांकि एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अंजुमन कमिटी पक्षकार ही नहीं है. इसलिए उनके पास हाईकोर्ट आने का अधिकार नहीं है. जस्टिस विनोद कुमार भरवानी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की. मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह के बाद होगी. 

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आगे क्या हो सकता है? 

राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता अखिल चौधरी कहते हैं, "अजमेर शरीफ दरगाह मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले शुरू जरूर हुई है लेकिन हाईकोर्ट अभी भी इस सुनवाई पर रोक लगा सकता है. इसी को ध्यान रखते हुए अंजुमन कमिटी हाईकोर्ट पहुंची है.

 राजस्थान उच्च न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए न केवल कार्यवाही पर रोक लगा सकता है, बल्कि ऐसा आदेश भी पारित कर सकता है जिससे पूजा स्थलों (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 का क्रियान्वयन उसके मूल उद्देश्य एवं भावना (letter and spirit) में सुनिश्चित हो सके.

अंजुमन के सदस्यों का कहना है कि यह दावा ही बेबुनियाद है. अजमेर शरीफ दरगाह सभी धर्म के लोगों की आस्था रही है. इसलिए राजपूत, मराठा, ब्रिटिश और आजादी के बाद भी कभी इस तरह के सवाल नहीं उठे. शिवाजी महाराज के पोते राजा साहू से लेकर जयपुर के महाराजा रहे सवाई जयसिंह द्वितीय और सिंधिया राजाओं तक का दरगाह से रिश्ता रहा है.  इसलिए जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे गलत हैं. 

प्रधानमंत्री ने भेजी थी चादर

हर बार की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चादर दरगाह पर चढ़ाई गई. मंत्री किरण रिजीजू चादर लेकर.आए थे. क्या यह चादर मंदिर का दावा करने वालों को जवाब है? इस सवाल पर उन्होंने कहा था कि हम किसी को जवाब देने के लिए या दिखाने के लिए यह नहीं कर रहे हैं. हम प्रधानमंत्री का संदेश लेकर आए हैं कि मुल्क के लोग अच्छे तरीके से रहें. हम देश में अच्छा माहौल चाहते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चादर दरगाह पर चढ़ाई गई.

अजमेर के सिविल कोर्ट में दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर सुनवाई चल रही है. सितंबर 2024 को विष्णु गुप्ता ने याचिका लगाई थी. नवंबर से इसकी सुनवाई हो रही. अजमेर दरगाह आस्था का बड़ा केंद्र है. इसलिए इस मामले पर सबकी निगाहें हैं.