Rajasthan Election 2023: समर्थकों ने रोते-रोते पगड़ी उतारकर पैरो में रखी, तब जाकर माने हेमाराम चौधरी! चुनाव लड़ने की रखी ये शर्त

हेमाराम चौधरी सचिन पायलट गुट से आते हैं. वे अपनी राजनीतिक पारी में अभी तक 8 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें से 6 चुनाव उन्होंने बड़ी अंतराल से जीते हैं. कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली गुड़ामालानी विधानसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां से ज्यादातर जाट प्रत्याशी ही चुनाव जीते हैं.

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हेमाराम चौधरी.

Rajasthan News: विधानसभा चुनाव का टिकट पाने के लिए जब जयपुर से दिल्ली तक की दौड़ जब काम करती नजर नहीं आई तो नेता जी जनता का सहारा लेकर अपना सपना पूरा करने की कोशिश में लग गए हैं. इस बात को आप मारवाड़ के किसान नेता और गहलोत सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर हेमाराम चौधरी (Hemaram Choudhary) के वायरल वीडियो से समझ सकते हैं. वीडियो में हेमाराम चौधरी युवाओं को मौका देने के लिए चुनाव लड़ने से इनकार करते नजर आ रहे हैं, जिसके बाद उनके समर्थक रोते हुए पैरो में पगड़ी रखकर उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं.

मंत्री ने भी उतारी अपनी पगड़ी

ये मौका गुड़ामालानी के मैला मैदान में आयोजित कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सम्मेलन का था, जिसमें सोमवार को शिरकत करने के लिए हेमाराम चौधरी पहुंचे थे. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने हेमाराम चौधरी को रोते-रोते चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की. एक समर्थक ने तो अपनी पगड़ी तक उतारकर नेताजी के पैरो में रख दी. लेकिन तभी हेमाराम चौधरी ने उनको पगड़ी वापस पहनने के लिए कहा. जब वे नहीं माने तो चौधरी ने अपनी पगड़ी भी उतार दी, जिसके बाद समर्थकों ने हाथ जोड़ लिए और पगड़ी नेताजी को पगड़ी वापस पहना दी. ये पूरा नजारा एक शख्स ने अपने कैमरे में भी कैद कर लिया, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.

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अनशन पर बैठ गए थे कार्यकर्ता

हेमाराम चौधरी अपने फैसले पर अटल थे, लेकिन उनके समर्थक लगातार कोशिश करते रहे. कार्यकर्ताओं ने कहा कि गुड़ामालानी की जनता विधायक से फैसला बदलने को लेकर आग्रह कर रही है. लंबे समय तक ऐसा ही चलता रहा, लेकिन जब लाख कोशिशों के बाद भी हेमाराम चौधरी नहीं मानें तो हजारों की संख्या में कार्यकर्ता अनशन पर बैठ गए. समर्थकों को अनशन करता देख हेमाराम चौधरी ने कहा कि अगर आप मेरी बात नहीं मानेंगे तो मैं भी अनशन पर बैठकर अन्न-पानी को त्याग दूंगा.

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शर्त के साथ मान गए हेमाराम चौधरी

कुछ देर तक यही चलता रहा, लेकिन कार्यकर्ता ने अपने नेता को चुनाव लड़ने के लिए मनाने की कोशिश जारी रखी. आखिरकार हेमाराम चौधरी को अपने समर्थकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जिद के आगे झुकना ही पड़ा. कार्यक्रम के अंत में हेमाराम चौधरी ने अपना राजनीतिक दांव खेलते हुए कहा, 'यदि पार्टी टिकट देती है, तो जनता की बात रखने के लिए मैं चुनाव लडूंगा. लेकिन चुनाव लड़ने से जितने तक, जिम्मेदारी जनता और कार्यकर्ताओं की होगी.'

कौन हैं हेमाराम चौधरी?

हेमाराम चौधरी सचिन पायलट गुट से आते हैं. वे अपनी राजनीतिक पारी में अभी तक 8 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें से 6 चुनाव उन्होंने बड़ी अंतराल से जीते हैं. कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली गुड़ामालानी विधानसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां से ज्यादातर जाट प्रत्याशी ही चुनाव जीते हैं. हेमाराम पहले भी चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं. 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव के वक्त भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था, जिसके बाद राहुल गांधी और सचिन पायलट के कहने पर हेमाराम चौधरी चुनाव लड़ने के लिए मान गए थे.

बेटी के लिए मांगा टिकट?

हेमाराम चौधरी पश्चिमी राजस्थान से कद्दावर नेता हैं. उन्होंने इस बार अपनी बेटी के लिए टिकट मांगा था, और पिछले चुनाव में भी इन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. फिर बाद में इनको टिकट दिया गया था, और जीतने के बाद मंत्री भी बनाया गया था. इस बार भी संभवत यही कयास लगाया जा रहा है कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए टिकट मांगा है. अब कांग्रेस आलाकमान क्या फैसला लेगा? ये देखने वाली बात होगी. लेकिन उससे पहले चौधरी ने एक तरह से अपना शक्ति प्रदर्शन कर दिया है.