'लॉलीपॉप' से शुरू हुई बहस, इस्तीफे तक पहुंची बात, किसानों ने राजस्थान में देखा लाइव ड्रामा

गुड़ामालानी में भाजपा प्रधान और एसडीएम के बीच किसानों के सामने तीखी बहस हुई. फसल बीमा, पानी और बिजली जैसी समस्याओं पर किसानों ने धरना दिया. एसडीएम ने प्रधान को इस्तीफा देने तक कह दिया. किसानों ने तीन दिन का अल्टीमेटम दिया है.

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गुड़ामालानी में पंचायत भवन बना अखाड़ा – एसडीएम ने प्रधान को कहा इस्तीफा दो!
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान के बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी एसडीएम कार्यालय के बाहर शुक्रवार को उस वक्त माहौल गरमा गया जब भाजपा के पंचायत समिति प्रधान बिजलाराम चौहान और एसडीएम केशव कुमार मीणा के बीच तीखी बहस हो गई. यह विवाद किसानों की 11 सूत्री मांगों को लेकर हुआ, जिनमें फसल बीमा क्लेम, बिजली कटौती, नर्मदा पानी बंद होना और खेतों में जंगली सुअरों का आतंक जैसी समस्याएं शामिल थीं.

'आप तो बस मीठी गोली देते हो..'

किसान संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों किसान धरने पर बैठे थे. ज्ञापन देने पहुंचे प्रधान ने एसडीएम पर तंज कसते हुए कहा, 'आप तो बस मीठी गोली देते हो, लॉलीपॉप थमा देते हो. कितने लेटर दिए, एक का भी जवाब नहीं आया.'

एसडीएम का पलटवार – इस्तीफा दो!

इस पर एसडीएम ने सीधा पलटवार किया, 'आप प्रधान हो, आपकी नहीं चलती तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते? मेरे पास जादू की छड़ी थोड़े है कि चांद लाकर दे दूं.' इसके बाद माहौल और गरम हो गया.

'समिति में सिर्फ चमचे और एजेंट बैठे हैं'

प्रधान ने फिर तीखा हमला बोला और कहा, 'पंचायत समिति में सिर्फ चमचे और एजेंट बैठे हैं, कोई सुनता ही नहीं.'

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'सुअरों का आतंक रोकना आपका काम'

इसके पर एसडीएम ने ठंडे लहजे में कहा, 'सुअरों का आतंक रोकना तो आपका काम है ना?'

'आप लेटर तो लिख दो...'

यह सुनकर प्रधान भड़क उठे. उन्होंने कहा, 'सुअर भी आप ही रोकेंगे. लेटर तो लिख दो.' बहस और गरमाई तो एसडीएम व प्रधान को किसानों ने शांत करवाने की कोशिश की.

किसानों का अल्टीमेटम

किसानों ने चेतावनी दी कि यह आखिरी ज्ञापन है. तीन दिन में समस्याओं का हल नहीं निकला तो बड़ा आंदोलन होगा. काफी नोकझोंक के बाद एसडीएम ने कार्रवाई का आश्वासन दिया और किसान धरना समाप्त कर लौटे.

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लोकतंत्र का मंदिर बना अखाड़ा

पंचायत भवन में इस तरह का खुला ड्रामा शायद ही पहले कभी देखने को मिला हो. अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि तीन दिन में समाधान निकलता है या गुड़ामालानी की सड़कों पर किसानों का गुस्सा फूट पड़ता है.

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