Rajasthan News: मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) मंगलवार को राज्यसभा में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लेकर आई थी. इसके अगले दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने धनखड़ पर निशाना साधते हुए उन्हें सरकार का सबसे बड़ा प्रवक्ता बताया. जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया. गुरुवार को राजस्थान के कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (Rajyavardhan Singh Rathore) ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
'कांग्रेस में केवल परिवार पूजा सिखी'
जयपुर में 'रन फॉर विकसित राजस्थान' कार्यक्रम के बाद मंत्री राठौड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'मुझे आश्चर्य नहीं है कि कांग्रेस ऊंचे पद की गरिमा का सम्मान नहीं कर रही है. उन्हें अपने परिवार से ऊपर किसी की परवाह नहीं है. कांग्रेस ने देश की कभी परवाह नहीं की है. हमेश वोट के लिए देशवासियों को बांटने का काम किया है. दूसरे राष्ट्रों के साथ अजीब समझौते किए हैं. उन्होंने कभी संविधान को सम्मान नहीं दिया, तो वे एक संस्था का सम्मान कैसे करेंगे? नेहरू, इंदिरा, राजीव गांधी ने संविधान को कई बार बदला. यही वो परिवार है जिसने इमरजेंसी भी लगाई थी. आज मल्लिकार्जुन खरगे जो शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं उसे सुनकर कोई गुंजाइश नहीं है कि इस पार्टी में केवल परिवार पूजा ही सिखाई जाती है.'
मल्लिकार्जुन खरगे ने क्या बयान दिया?
खरगे ने दिल्ली में विपक्ष की एक संयुक्त प्रेस वार्ता में कहा कि राज्यसभा में व्यवधान का सबसे बड़ा कारण खुद सभापति हैं. वह राज्यसभा के सभापति के तौर पर 'हेडमास्टर की तरह स्कूलिंग' करते हैं. विपक्ष की ओर से जब भी नियमानुसार महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जाते हैं तो सभापति योजनाबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होने देते. बार-बार विपक्षी नेताओं को बोलने से रोका जाता है. उनकी निष्ठा संविधान की बजाय सत्ता पक्ष के प्रति है और संवैधानिक परंपरा के प्रति वह अपनी अगली पदोन्नति के लिए सरकार के प्रवक्ता के रूप में काम कर रहे हैं. मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि राज्यसभा में सबसे बड़ा व्यवधान सभापति जगदीप धनखड़ स्वयं हैं.'
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