Rajasthan News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार सुबह सरकारी स्कूल की जर्जर बिल्डिंग गिरने से 7 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 से ज्यादा बच्चे घायल हो गए. इस दुर्घटना के बाद पिपलोदी गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जला. पूरा गांव शोक में डूबा रहा. शनिवार सुबह एक साथ 6 शवों का अंतिम संस्कार किया गया. गांव के कुछ लोग इस वक्त अस्पताल में भर्ती बच्चों के साथ हैं, जबकि कुछ पीड़ित परिवार के साथ मातम मना रहे हैं. लेकिन इस मातम के बीच एक कहानी 7 साल के कपिल और बरखा की है, जो इस हादसे का शिकार होने से बाल-बाल बचे हैं.
पेन लेने घर गया और बच गई जान
दरअसल, कपिल रोज की तरह स्कूल गया था. लेकिन वह अपना पेन घर पर ही भूल गया. जब क्लास में बैठा था तो छत से थोड़े-थोड़े कंकर गिरते देख उसने अपनी टीचर से पेन लेने की इजाज़त ली. स्कूल से उसका घर सिर्फ कुछ कदम की दूरी पर है. जैसे ही वह पेन लेकर वापस लौटने को हुआ, सामने स्कूल की पूरी इमारत गिरते देख उसके होश उड़ गए. कपिल ने कहा, 'मैं बस घर से निकल ही रहा था कि पीछे से स्कूल गिर गया. आवाज और धूल में कुछ भी समझ नहीं आया. चीख-पुकार सुनकर डर गया.'
बरखा थोड़ी देर से पहुंची, इसलिए बच गई
वहीं गांव की ही 7वीं क्लास की छात्रा बरखा स्कूल थोड़ी देर से पहुंची थी. जैसे ही वह स्कूल गेट पर पहुंची, उसने आंखों के सामने पूरी इमारत को गिरते देखा. बरखा के मुताबिक, 'अगर मैं 2 मिनट पहले पहुंचती, तो शायद मैं भी अंदर होती.' चश्मदीद बच्चों की इस कहानी ने पूरे गांव को रुला दिया है.
जर्जर बिल्डिंग में चल रही थी पढ़ाई
हादसे के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है. घायल बच्चों को इलाज के लिए नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल यही है — क्या जर्जर इमारत की हालत देखकर पहले कोई कदम नहीं उठाया गया?
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