DigiPin: डाक विभाग से पिनकोड होगा अलविदा, अब DIGIPIN से किसी का पता लगाना होगा आसान

Rajasthan: इस पारंपरिक 6 अंकों वाले डिजिपिन को पिन कोड से कहीं ज्यादा सटीक बताया जा रहा है.

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IIT Hyderabad & ISRO developed DIGIPIN: 53 साल बाद डाक विभाग से पिनकोड अलविदा होगा. डाक विभाग आधुनिक तकनीक के साथ लोकेशन बेस्ड DIGIPIN की शुरुआत कर रहा है. बड़े शहरों में DIGIPIN की ट्रायल के साथ काम शुरू हो गया है. इससे डाक वितरण और सेवाएं ज्यादा सटीक होगी. IIT हैदराबाद और इसरो ने मिलकर यह DIGIPIN तकनीक तैयार की है. इस पारंपरिक 6 अंकों वाले डिजिपिन को पिन कोड से कहीं ज्यादा सटीक बताया जा रहा है. जल्द ही शुरू होने जा रही इस नई तकनीक में DigiPin 10 अंकों का अल्फा-न्यूमेरिक कोड है. देश में डिजीपिन ही डाक का नया-पता सिस्टम होगा. जहां पारंपरिक पिन कोड किसी बड़े क्षेत्र को कवर करते थे, वहीं 10 अंकों वाले डिजीपिन आपके घर या व्यवसाय की सटीक लोकेशन दर्शाएगा. 

एक-एकल बिल्डिंग का पता बताएगा DigiPin 

यह DigiPin एक-एक इमारत को दर्शाता है। यह तकनीक खासकर गांवों और उन इलाकों के लिए बेहद उपयोगी है, जहां स्पष्ट पते नहीं होते. पूरे देश को 4x4 मीटर की ग्रिड्स में बांटकर प्रत्येक ग्रिड को अक्षांश और देशांश (latitude & longitude) के आधार पर एक यूनिक कोड दिया गया है.

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जानिए कैसे होगी आसानी

दरअसल, DigiPin को ऑनलाइन ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि के साथ साझा किया जा सकता है. साथ ही एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड जैसी आपातकालीन सेवाओं को दूर-दराज के क्षेत्रों में सटीक स्थान तक पहुंचाने में भी सहायता करेगा. डाक विभाग द्वारा विकसित इस DigiPin प्लेटफॉर्म के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपने घर, कार्यालय या संस्थान के लिए यह कोड प्राप्त कर सकता है. इसे सामान्य पते के साथ अतिरिक्त डिजिटल एड्रेस के रूप में जोड़ा जा सकता है. यह ऑफलाइन भी उपयोग किया जा सकता है और इसका उद्देश्य पारंपरिक पते को बदलना नहीं, बल्कि उसे और सटीक बनाना है. उम्मीद जताई जा रही है है कि डिजीपिन ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में भी बेहद फायदेमंद साबित होगा. 
 

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