IIT Jodhpur के दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति बोले-'विज्ञान, तकनीकी और चिकित्सा में बाधा नहीं होनी चाहिए विदेशी भाषा'

IIT जोधपुर के 10वें दीक्षांत समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1084 छात्रों को डिग्रियाँ और मेडल वितरित किए. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा विज्ञान और तकनीकी शिक्षा में बाधक नहीं होनी चाहिए.

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IIT जोधपुर में 10वां दीक्षांत समारोह

IIT Jodhpur 10th Convocation: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के 10वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1084 विद्यार्थियों को उपाधि और मेडल भी प्रदान किया. अपने एक दशक से भी अधिक के सफर में IIT ने तकनीक के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. IIT ने पहली बार अपने किसी दीक्षांत समारोह में 1 हजार से अधिक विद्यार्थियों को उपाधि और मेडल प्रदान किए हैं, जिसमें इस वर्ष इन विभागों में डिग्री और मेडल M Tech-370, मास्टर्स इन मेडिकल टेक्नोलॉजी-7, MSC- M Tech ड्यूल डिग्री-17, PG डिप्लोमा/सर्टिफिकेट-87, MBA-77, B Tech-425, PHD-24, MSC-76, MSC(मिएंट स्पेशलाइजेशन)-6, B Tech (मिएंट स्पेशलाइजेशन)-35, A M Tech-PHD, ड्यूल डिग्री-1 शामिल थे.

'छात्रों को पाठ्यक्रम चुनने की आजादी'

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने शिक्षा के स्तर पर जोर देते हुए कहा कि विदेशी भाषा विज्ञान, चिकित्सा और प्रौद्योगिकी सीखने में एक अवरोधक नहीं होनी चाहिए. धनखड़ ने छात्रों को शिक्षा में गैर-पारंपरिक बाधाओं को तोड़ने और ज्ञान और विज्ञान के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया. आगे कहा कि 'नई शिक्षा नीति के अंतर्गत, छात्रों को पाठ्यक्रम चुनने की आजादी है.

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ज्ञान और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और ज्ञान का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण, मेडिकल छात्र अपने मुख्य विषयों के साथ-साथ अर्थशास्त्र या संगीत भी पढ़ सकते हैं, जो शिक्षा की दिशा में एक कदम है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि 'भारत के भविष्य के समस्या समाधानकर्ता वे होंगे जो सख्त अनुशासनात्मक सीमाओं से परे देखने में सक्षम होंगे'.

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मातृभाषा में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम वाला देश का पहला संस्थान

IIT जोधपुर की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जो मातृभाषा में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम देने वाला देश का पहला संस्थान है. 'दुनिया में कई देश हैं जो इंजीनियरिंग में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं. लेकिन वे इन विषयों को विदेशी भाषा में नहीं पढ़ाते. जापान, जर्मनी, चीन और कई अन्य देश जो तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी हैं.

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वे विदेशी भाषा का सहारा नहीं लेते. भाषा वही होती है जिसमें देश विश्वास करता है, व्यक्ति विश्वास करता है. आप जर्मन, जापानी, चीनी या भारतीय भाषा अपना सकते हैं. हमारे देशी विचारक- न तो बौधायन और न ही पाइथागोरस-अंग्रेजी में सोच रहे थे. फिर भी उन्होंने अपने-अपने मातृभाषा में इस अद्भुत प्रमेय को पाया.'

'सार्थक रोजगार पैदा करना होगा'

भारत की आर्थिक दिशा पर चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सामूहिक प्रयास का आह्वान किया. जिससे मध्यम-आय के जाल से बाहर निकलते हुए 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर बढ़ा जा सके. उन्होंने कहा 'हमें अपनी प्रति व्यक्ति आय को आठ गुना बढ़ाना है. 2047 तक जब हम स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहे होंगे, हमें एक विकसित राष्ट्र बनना है. हमें मूल्य श्रृंखला में ऊंचे स्थान पर सार्थक रोजगार पैदा करना होगा.

UPI ने देश में क्रांति ला दी 

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी भूमिका की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि देश ने तकनीकी अनुकूलन और परिवर्तन का एक मानक स्थापित किया है, जिसे अब विश्व अपनाता है. उन्होंने कहा- 'इस देश ने दूसरों के लिए तकनीकी अनुकूलन और परिवर्तन का एक मानक स्थापित किया है. प्रतिदिन औसतन 466 मिलियन डिजिटल लेनदेन भारत में होते हैं. UPI ने हमारे देश में लेनदेन करने के तरीके में क्रांति ला दी है. हर कोई इसके बारे में जान गया है. इसका प्रभाव कितना व्यापक है और सबसे महत्वपूर्ण, मेरे युवा मित्रों, यूपीआई ने हमारी सीमाओं से बाहर भी स्वीकृति पाई है.'

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