राजस्थान पर बढ़ा कर्ज भजन लाल सरकार के लिए बनेगी चुनौती, आंकड़ों में देखें कर्ज का पूरा ब्योरा

राजस्थान पर बढ़े कर्ज पर पूर्व कांग्रेस सरकार का कहना है कि बीजेपी की सरकार ने प्रदेश का कर्ज पहले ही बढ़ा दिया था और ये कर्ज प्रदेश में चल रही योजनाओं के लिए लिया गया है.

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राजस्थान पर पिछली सरकार में कितना बढ़ा कर्ज.

Rajasthan News: राजस्थान में नई सरकार बनने के बाद भजन लाल शर्मा (Bhajan Lal Sharma) राज्य के नए मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन उनके लिए राजस्थान पर बढ़ा कर्जा चुनौती बनने वाली है. बताया जा रहा है कि प्रदेश की पिछली सरकार कांग्रेस की गहलोत सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में करीब 61 प्रतिशत ज्यादा कर्ज लिया है. वहीं, साल 2023 में जुलाई में कर्ज लिया गया जब प्रेदश में चुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो गई. हालांकि, पूर्व कांग्रेस सरकार का कहना है कि बीजेपी की सरकार ने प्रदेश का कर्ज पहले ही बढ़ा दिया था और ये कर्ज प्रदेश में चल रही योजनाओं के लिए लिया गया है. लेकिन वर्तमान बीजेपी सरकार का कहना है कि जिस तरह से जनहित योजनाओं के लिए खजाना खोला गया. उससे प्रदेश की आर्थिक हालात खराब होने वाली है.

बता दें, गहलोत सरकार की योजनाओं को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस चुनावी रेवड़ियां बांट रही है. अब बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि हालात अभी ये हो गए हैं कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के अलावा अन्य भुगतान में 1 से 2 महीने तक की देरी हो रही है.

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राजस्थान में कर्मचारियों के वेतन पर आफत

विभाग द्वारा बताया जा रहा है कि राजस्थान रोडवेज जैसे निगम में 2-2 महीने से कर्मचारियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल पा रही है. सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के अलावा अन्य भुगतान में भी देरी हो रही है. राज्य सरकार हर महीने करीब 8500 करोड़ रुपए कर्मचारियों के वेतन के लिए भुगतान करती है. ज्यादातर विभागों में यह भुगतान समय पर हो रहा है. लेकिन कॉर्पोरेशन में भुगतान में दो महीने तक की देरी हो रही है. रिटायरमेंट बेनिफिट्स, जीपीएफ से अग्रिम भुगतान में भी एक से दो महीने की देरी हो रही है. सरकारी सूत्र बताते हैं कि 3 कैटेगरी में सरकार भुगतान कर रही है. 'ए' कैटेगरी में 2 लाख रुपए तक के भुगतान में देरी नहीं है. 'बी' कैटेगरी में 2 से 5 लाख रुपए भुगतान में 1 महीना तक देरी हो रही है. जबकि 'सी' कैटेगरी में 5 लाख से अधिक के भुगतान पर 2 महीने तक की देरी हो रही है. इसी हिसाब से अन्य भुगतानों में भी व्यवस्था होने के कारण देरी हो रही है.

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आठ महीने में 44 हजार करोड़ का कर्ज

मौजूदा वित्तीय वर्ष में अशोक गहलोत की पिछली कांग्रेस सरकार ने अपने अंतिम 8 महीने के कार्यकाल में 44,736 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्जा लिया. बजट अनुमानों के मुताबिक मार्च 2024 तक मौजूदा बीजेपी सरकार करीब 18000 करोड़ रुपए तक ही और कर्ज ले सकेगी. राजस्थान सरकार पर कर्ज बढ़ने की रफ्तार यह रही कि नवंबर 2022 में 27542.33 करोड़ रुपए के कर्ज से एक ही साल में 17194.51 करोड़ रुपए कर्ज बढ़कर नवम्बर 2023 में 44736.84 करोड़ रुपए हो गया. राजस्थान का साल 2022-23 में अनुमानित कर्ज 5,16,815 करोड रुपए था. जिसके मार्च 2024 के अंत तक 5,79,781 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है.

CAG को बताई गई कर्ज की राशि से अतिरिक्त 10 हजार करोड़

जानकारी के मुताबिक सरकारी उपक्रमों के ज़रिए करीब 10 हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया. जो CAG को बताई गई कर्ज की राशि के अतिरिक्त लिया गया है. उस राशि को भी सरकार पीडी खाते में जमा करवाती आई है और उसका नियंत्रण भी राज्य सरकार के ही हाथों में ही रहता है. जिससे सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को राशि देती है.

बीजेपी ने पिछली गहलोत सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन करने और प्रदेश को कर्ज के बोझ में डालने के आरोप लगाए हैं. वरिष्ठ बीजेपी नेता नारायण पंचारिया ने दावा किया है कि बीजेपी की भजनलाल सरकार विपरीत हालातों के बावजूद मेनिफेस्टो भी पूरा करेगी और प्रदेश की आर्थिक हालात सुधारने के लिए भी कदम उठाएगी. दूसरी ओर कांग्रेस नेता राधेश्याम दायमा ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार पर कर्ज छोड़कर जाने की बात कही और कहा कि गहलोत ने जनहित की योजनाएं दीं. इसलिए कर्ज लेना स्वाभाविक था और कर्ज निर्धारित सीमा में ही लिया गया. इसमें कुछ गलत नहीं.

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