India's 1st exhibition for embroidery & surface embellishment: राजस्थान के जोधपुर में कारीगरों की शिल्पकला के लिए प्रदर्शनी हुई. कारीगरों की 'कढ़ाई कला' को मंच देने वाली देश की पहली प्रदर्शनी भी है. कढ़ाई से जुड़ी इस प्रदर्शनी में देश- विदेश के 20 से अधिक रचनाकारों की 60 कलाकृतियां प्रदर्शित की गई. प्रदर्शनी में कारीगरों की शिल्पकला को मंच दिया गया. इसमें बिहार की खेता रजाई, पश्चिम बंगाल की कांथा, लखनऊ की चिकनकारी और कच्छ, गुजरात की जटिल शैलियों सहित कढ़ाई की विविध तकनीकों को प्रदर्शनित किया गया.
विरासत को संरक्षित करने पर भी जोर
इसे 'JDH' शहरी उत्थान पहल के सहयोग से टेक्सटाइल डिजाइनर मयंक मान सिंह कौल ने डिस्प्ले किया. यह प्रदर्शनी तीन ऐतिहासिक स्थलों - "अचल निवास, लक्ष्मी निवास और अनूप सिंहजी की हवेली" में आयोजित किया गया. इस दौरान सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया गया.
आयोजक ने बताया प्रदर्शनी का उद्देश्य
कौल ने कहा, "हमारा उद्देश्य कढ़ाई को एक गतिशील और अभिव्यंजक कला के रूप में प्रदर्शित करना है. स्वतंत्रता के बाद, कढ़ाई समकालीन वस्त्रों के एक परिभाषित तत्व के रूप में विकसित हुई है." उन्होंने कहा कि कपड़ों में इसकी पारंपरिक भूमिका के विपरीत, प्रदर्शनी हाथ की कढ़ाई, बुनाई और सामग्री हेरफेर जैसी तकनीकों के माध्यम से कढ़ाई की कलात्मक क्षमता को उजागर करती है.
कारीगरों का रचनात्मक स्वतंत्रता के लिए प्रेरित करना मकसद
प्रदर्शनी निदेशक जूही पांडे ने कहा कि यह प्रदर्शनी कौशल और प्रौद्योगिकी का एक ऐसा संगम है जो कढ़ाई में भारत की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा, "प्रदर्शनी एक शैक्षिक उद्देश्य को भी पूरा करती है, जो कारीगरों को कपड़ा डिजाइन में रचनात्मक स्वतंत्रता तलाशने के लिए प्रेरित करती है. हम कारीगरों को कढ़ाई को कलात्मक अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें सशक्त बनाना चाहते हैं."
यह भी पढ़ेंः साल में एक बार महाशिवरात्रि पर खुलने वाला एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर इस बार रहेगा बंद, जानें वजह