राजस्थान में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से आएंगे बाघ-बाघिन, वायुसेना के हेलीकॉप्टर से होगी शिफ्टिंग

भारत में पहली बार अंतर राज्य बाघ स्थानांतरण परियोजना की शुरुआत 2018 में की गई थी. योजना के लिए बाघ बाघिन की एक जोड़ी मध्य प्रदेश से उड़ीसा के एक टाइगर रिजर्व में भेजी गई थी.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Inter State Tiger Transfer Project: राजस्थान के इतिहास में पहली बार इंटरस्टेट टाइगर ट्रांसफर प्रोजेक्ट की शुरुआत होने जा रही है. बूंदी का रामगढ़ और कोटा का मुकुंदरा टाइगर रिजर्व पहला रिजर्व होगा, जहां पर अंतरराज्य बाघ स्थानांतरण नीति को अपनाया जाएगा. प्रोजेक्ट को एनटीसीए ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है. इससे पहले भारत का पहला टाइगर ट्रांसफर प्रोजेक्ट असफल रहा था. मध्य प्रदेश से दो टाइगर उड़ीसा भेजे गए थे. जहां पर एक बाघ की मौत हो गई थी. दूसरे की मौत की डर की वजह से वन विभाग ने वापस टाइगर को ट्रेंकुलाइज कर मध्य प्रदेश वापस भिजवा दिया था. 

ओम बिरला कर रहे मॉनिटरिंग

अब कभी भी महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से टाइगर्स को बूंदी और रामगढ़ में शिफ्ट किया जा सकता है. स्पीकर ओम बिरला लगातार इंटरस्टेट टाइगर ट्रांसफर प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. बूंदी रामगढ़ अभयारण्य के डीसीएफ देवेंद्र भाटी ने बताया कि बड़ी खुशी की बात है कि अंतर राज्य बाघ स्थानांतरण का चयन बूंदी के रामगढ़ के लिए किया गया है.

राज्य में पहला टाइगर स्थानांतरण वर्ष 2008 में हुआ था. रणथंभौर से सरिस्का टाइगर रिजर्व में टाइगर्स को शिफ्ट किया गया था. 2004–05 के बीच सरिस्का टाइगर रिजर्व में बागों की संख्या लगातार घटती जा रही थी, जिसको देखते हुए 2008 में टाइगर शिफ्टिंग की शुरुआत हुई.

पहला टाइगर रणथंभौर से सरिस्का में 28 जून 2008 को शिफ्ट हुआ था. वहीं वर्ष 2012 तक उसके शावक नहीं हुए तो वन विभाग की लगातार चिंता बढ़ गई. वन विभाग के विशेषज्ञ को बुलाया गया, जहां पर रेडियो कॉलर की रेडिएशन की वजह से परेशानी की जानकारी सामने आई, जिसके बाद बाघिन का रेडियो कलर चेंज किया गया. उसके साल भर बाद 2012 में एसटी 2 ने दो शावकों को जन्म दिया. 

भारत में पहली बार अंतर राज्य बाघ स्थानांतरण परियोजना की शुरुआत 2018 में की गई थी. योजना के लिए बाघ बाघिन की एक जोड़ी मध्य प्रदेश से उड़ीसा के एक टाइगर रिजर्व में भेजी गई थी. बाघ महावीर और बाधिन सुंदरी को मध्य प्रदेश से ओडिशा में स्थानांतरित किया. जून 2018 में महावीर को कान्हा टाइगर रिजर्व और सुंदरी को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सतकोसिया टाइगर रिजर्व में लाए, लेकिन नए वातावरण मिलने के चलते उड़ीसा के सातकोशिया टाइगर रिजर्व में बाघ महावीर की मौत हो गई. वातावरण सही नहीं मिलने से बाघ चिड़चिड़ा हो गया और आम लोगों पर हमले की भी कोशिश की थी. 

Advertisement

विफल रहा पहला टाइगर ट्रांसफर प्रोजेक्ट

फिर एक दिन बाघ महावीर किसान के बाड़े में अचेत हालत में मिला और जांच करने पर पता कि उसकी मौत हो गई. इसके बाद दूसरे बाघ को मूल स्थान मध्य प्रदेश भेजा गया. ऐसे में बाघों का अब तक का पहला इंटरस्टेट ट्रांसफर प्रोजेक्ट विफल रहा. डीसीएफ देवेंद्र भाटी ने बताया कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की दूरी 600 किलोमीटर की है. बूंदी के टाइगर रिजर्व से काफी दूर है. ऐसे में हेलीकॉप्टर से भी बाघ–बाघिन को यहां पर सीधा शिफ्ट किया जाएगा.

टाइगर रिजर्व में हेलीकॉप्टर से लाने की मंजूरी बन गई है. यहां पर हेलीपैड का निर्माण कर रहे हैं. वायु सेना ने भी बूंदी टाइगर रिजर्व का दौरा किया है. हेलीकॉप्टर से आसानी से टाइगर को यहां पर शिफ्ट किया जा सकेगा. राज्य के टाइगर में नस्ल को लेकर कमजोरी नजर आती है. दूसरे राज्यों के बाग यहां का आकार नस्लों को मजबूत करने का काम करेगा. निश्चित रूप से बाग का स्थानांतरण बूंदी के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा और सफल भी रहेगा. 
 

Advertisement