Ajmer Vijay Smarak: भारत-पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुए वॉर की एक निशानी आज भी राजस्थान के अजमेर में मौजूद है. यह अजमेर में भारतीय फौज की बहादुरी और सेना की शान को बढ़ा रहा है.
पाकिस्तान को भारत से हर बार युद्ध में मुंह की कहानी पड़ती है और हर बार हार जाने के बाद भी पाक अपनी हरकतों से बाद नहीं आता है. भारत के साथ हुई पाकिस्तान की हार में उन युद्ध की कई सारी निशानियां देश के अलग अलग शहरों में मौजूद हैं. उस समय युद्ध में पाकिस्तान से जीते युद्ध के टैंक भी भारत के कई शहरों में मौजूद है. ऐसा ही अजमेर में भी विजय स्मारक वर्ष 1971 पाकिस्तान के साथ हुए वॉर में पाकिस्तान आर्मी का टैंक भारत की विजय गाथा का बखान कर रहा है.
मगर साथ ही यह टैंक अपनी बदहाली पर आंसू भी बहाता नजर आ रहा है. हिंद सेवा दल के प्रमुख राजेश कुमार महावर ने बताया कि वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में पाकिस्तान ने अपना एक हिस्सा गंवाया था. इसके साथ ही एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ था. इस लड़ाई में भारत ने पाक के हजारों सैनिकों को बंधक बना लिया था. इस युद्ध में राजस्थान के करीब 500 से ज्यादा सैनिक शहीद भी हुए थे. जिनके नाम विजय स्मारक पर ताम्रपत्र में मौजूद है.
अजमेर को मिला जीत का पाकिस्तानी टैंक
उस समय अजमेर के लोगों की ओर से भी करीब 1 लाख रुपए जमा कराए गए थे. इसके चलते अजमेर को भी एक टैंक दिया गया था. इस टैंक के अजमेर पहुंचने पर उस समय जनता ने देश की विजय के इस प्रतीक का जोरदार स्वागत किया. इस टैंक को बजरंग गढ़ के नीचे स्थापित किया गया है, ताकि शहरवासी आराम से देश की जीत के प्रतीक को देख सके.
2016 में तत्कालीन CM वसुंधरा ने किया था जीणोद्धार
बाद में 2008 में नगर सुधार न्यास ने टैंक को खड़ा करने के लिए निर्माण प्रारंभ किया था. साल 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया था. यह टैंक अब देश के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट करने और फोटो क्लिक करने के लिए एक खास पॉइन्ट बन गया है. राष्ट्रीय त्योहारों पर यहां काफी लोग जुटते है. साथ ही सेनाओं की बहादुरी का सजदा करते है.
जीत का टैंक अपनी बदली पर बहा रहा आंसू
हिंद सेवा दल के प्रमुख आर के महावर ने बताया कि जिला प्रशासन और राजनीतिक दलों द्वारा इस विजय स्मारक की देखरेख नहीं हो रही है. जिसकी वजह से खानाबदोश लोग विजय स्मारक पर अपना जमावड़ा लगा कर रहते हैं. यहाँ अब गंदगी का आलम है और खानाबदोश लोगों के साथ नशेड़ी भी यहां पर अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. निजी संगठन द्वारा यहां पर फैंसी लाइट भी लगाई गई थी. यहां पर सुरक्षा की दृष्टि से लोहे की चैन भी लगाई गई थी. मगर सामाजिक तत्वों द्वारा वह भी चुरा ली गई है.
इसे भी पढ़े: जैसलमेर पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला जवानों को ...