आपकी जेब में रखे नोट बना सकते हैं आपको बीमार! रिसर्च में 5 तरह के खतरनाक फंगस और 4 बैक्टीरिया मिले

Fungus-Bacteria on Indian Currency Notes: सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की बायोटेक्नोलॉजी लैब में हुई एक रिसर्च ने खुलासा किया है कि भारतीय करेंसी नोट, खासकर छोटे नोट, खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस से भरे होते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
जेब में रखे नोट बन सकते हैं बीमारी की जड़. (सांकेतिक तस्वीर)

Rajasthan News: आप अपनी जेब में रोज जो पैसा रखते हैं, क्या आपको पता है कि वो सिर्फ लेन-देन का जरिया ही नहीं, बल्कि खतरनाक बीमारियों का भी वाहक बन सकता है? जी हां, ये कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि राजस्थान की किशनगढ़ स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Central University of Rajasthan) में हुई एक चौंकाने वाली रिसर्च (Research) का खुलासा है. इस रिसर्च में पाया गया है कि भारतीय करेंसी नोट, खासकर 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोट, अनगिनत खतरनाक बैक्टीरिया और फंगस से भरे होते हैं.

NDTV ने किया रियलिटी चेक

इस रिसर्च के लिए NDTV की टीम ने एक रियलिटी चेक किया. हमारी टीम ने दूध बेचने वालों से लेकर, पताशी की ठेलियों, दुकानों, अस्पतालों, मेडिकल स्टोर्स और पेट्रोल पंप जैसे भीड़-भाड़ वाली जगहों से नोट इकट्ठे किए. ये वो जगहें हैं जहां लोग हर रोज बड़ी संख्या में नकदी का आदान-प्रदान करते हैं. इसके बाद इन सभी नोटों को सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की बायोटेक्नोलॉजी लैब में जांच के लिए भेजा गया. और जो नतीजे सामने आए, उसने हर किसी को हैरान कर दिया.

लैब में मिला 'फंगस और बैक्टीरिया' का जंजाल

जांच में पता चला कि हमारे करेंसी नोट पर 5 तरह के खतरनाक फंगस और 4 तरह के बैक्टीरिया मौजूद हैं.

  1. फंगस (Fungi): पेनीसिलियम, क्लेडोस्पोरियम, फ्यूजेरियम, एस्परजिलस और ट्राइकोडर्मा.
  2. बैक्टीरिया (Bacteria): ई.कोलाई, स्टैफिलोकोकस, क्लेबसिएला और स्यूडोमोनास.

इन बीमारियों के फैलने का बन सकते हैं कारण

ये सभी सूक्ष्मजीव कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि नोट पर मौजूद ये रोगाणु आंखों का संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी और यहां तक कि टीबी (तपेदिक) जैसी गंभीर बीमारियों को भी फैला सकते हैं. सोचिए, हमारी जेब में रखा ये पैसा हमें कब किसी बड़ी बीमारी का शिकार बना दे, कहा नहीं जा सकता.

Advertisement

24 घंटे से 4 साल तक जीवित रह सकते हैं फंगल-बैक्टीरिया

सेंट्रल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयकांत ने NDTV को बताया कि फंगल स्पोर (फंगस के बीज) तीन से चार साल तक जीवित रह सकते हैं. वहीं, टीबी जैसी बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया नोट पर 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं. इस दौरान अगर यह नोट किसी और व्यक्ति के संपर्क में आता है तो बीमारी सीधे फैल सकती है.

-----------------------------------------

मामले से जुड़े कुछ बड़े सवाल और उनके जवाब

Q1: कौन से नोट सबसे ज्यादा खतरनाक हैं?
A: इस रिसर्च के अनुसार, 10, 20, 50 और 100 रुपये के नोटों में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा पाया गया है, क्योंकि ये सबसे ज्यादा चलन में रहते हैं.

Advertisement

Q2: नोटों से कौन सी बीमारियां फैल सकती हैं?
A: नोटों पर पाए गए बैक्टीरिया और फंगस से आंखों का संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी, टीबी, त्वचा रोग और अन्य गंभीर संक्रमण फैल सकते हैं.

Q3: टीबी के बैक्टीरिया नोट पर कितने समय तक जीवित रहते हैं?
A: रिसर्च के मुताबिक, टीबी के बैक्टीरिया करेंसी नोट पर 24 से 48 घंटे तक जीवित रह सकते हैं, जो इसे एक बड़ा खतरा बनाता है.

Advertisement

Q4: यह रिसर्च कहां हुई है?
A: यह चौंकाने वाली रिसर्च राजस्थान के किशनगढ़ स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान की बायोटेक्नोलॉजी लैब में की गई है.

-----------------------------------------

क्यों होते हैं नोट इतने खतरनाक?

सवाल उठता है कि आखिर करेंसी नोट ही क्यों इन बीमारियों का वाहक बनते हैं? इसका जवाब भी इस रिसर्च में मिला. विशेषज्ञों के मुताबिक, हमारी करेंसी कॉटन पेपर (Cotton Paper Curreny) से बनी होती है. यह कॉटन पेपर नमी को आसानी से सोख लेता है और जल्दी चिपकता भी है. यही कारण है कि यह बैक्टीरिया और फंगस के लिए एक आदर्श वातावरण बन जाता है.

थूक लगाकर नोट गिनने की आदत

एक और सबसे बड़ी वजह है हमारी पुरानी आदत. अक्सर लोग नोट गिनते समय थूक लगाकर पलटते हैं. यह आदत ना सिर्फ गैर-जरूरी है बल्कि बेहद खतरनाक भी है. डॉ. जयकांत और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जन्मेजय के अनुसार, इस आदत की वजह से रोगाणु हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

समस्या स्थानीय नहीं, वैश्विक है

इस तरह के शोध सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हो रहे हैं. साल 2017 में प्लॉस वन जर्नल में प्रकाशित न्यूयॉर्क करेंसी पर हुई एक स्टडी में भी इसी तरह के परिणाम सामने आए थे. उस शोध में भी ऐसे सूक्ष्मजीव मिले थे जो त्वचा रोग, मुहांसों और कई गंभीर संक्रमणों का कारण बन सकते हैं. यह साफ दिखाता है कि यह समस्या कोई स्थानीय नहीं, बल्कि वैश्विक है.

क्या है बचाव का तरीका?

अब सवाल यह है कि इस खतरे से बचा कैसे जाए? जब तक दुनिया पूरी तरह कैशलेस नहीं हो जाती, हमें कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होगा:

  1. डिजिटल पेमेंट को अपनाएं: यूपीआई (UPI) और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें.
  2. हाथ धोना है जरूरी: नकदी का इस्तेमाल करने के तुरंत बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें.
  3. पुरानी आदत छोड़ें: नोट गिनते समय थूक लगाने की आदत को तुरंत छोड़ दें.
  4. बच्चों को बचाएं: बच्चों को नोट छूने से रोकें, क्योंकि उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है.

जैसा कि जयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रवि शेखावत ने कहा, 'हमारी स्वास्थ्य सुरक्षा हमारे अपने हाथों में है. हमें जागरूक रहकर ही इन अदृश्य खतरों से खुद को बचाना होगा.'

ये भी पढ़ें:- 7 बजे खुलता है स्कूल, 7:30 बजे पहुंचे DEO तो गेट पर मिला ताला, बच्चे वापस लौटे, 8 बजे प्रिंसिपल पर गिरी गाज

यह VIDEO भी देखें