राजेंद्र राठौड़ का अपमान! राजपूत समर्थकों में क्यों उठ रहा उबाल, बीजेपी और राधामोहन अग्रवाल को भरना पड़ सकता है खामियाजा

हाल में राजेंद्र सिंह राठौड़ को लेकर जिस तरह से बातें की जा रही है. इसके बाद राजपूत समूह में बेहद नाराजगी है. समर्थकों का कहना है कि हम भाजपा के गुलाम नहीं हैं, आपका अपमान पूरे क्षत्रिय समाज का अपमान है.

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राजेंद्र राठौड़

Rajendra Singh Rathore: राजस्थान बीजेपी के दिग्गज और वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ को लेकर प्रदेश की सियासत में उथल-पुथल मची हुई है. राजेंद्र राठौड़ को लेकर हाल ही में बीजेपी की सदस्यता अभियान के दौरान प्रदेश के नए प्रभारी राधामोहन अग्रवाल के द्वारा कहा गया कि उनकी आज अटेंडेंस लग गई है. उनको पूछा जाना चाहिए कि वह किस कारण से बैठक छोड़कर जाना पड़ा. कोई संगठन से ऊपर नहीं है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इस मामले में गोविंद सिंह डोटासरा ने भी चुटकी ले ली और कहा कि बीजेपी के नए प्रभारी वरिष्ठ नेताओं की भी हाजरी लगा रहे हैं. यह तो वरिष्ठ नेता का अपमान है.

इसके बाद राजेंद्र राठौड़ सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे. इसके बाद खुद राजेंद्र राठौड़ को सोशल मीडिया पर बयान जारी करने पड़ा. जिसमें उन्होंने कहा कि

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मेरे और भाजपा संगठन के प्रति भ्रम फैलाकर अनर्गल ट्रेंड चला रहे हैं जिसका मैं विरोध करता हूं. मैंने अपना पूरा राजनीतिक जीवन भाजपा संगठन के लिए समर्पित किया है और भविष्य में भी एक कार्यकर्ता के रुप में संगठन को मजबूती देने के लिए अनवरत कार्यरत रहूंगा. मेरी सभी समर्थकों और कार्यकर्ताओं से अपील है कि सोशल मीडिया पर अनर्गल टिप्पणियां ना करें. भाजपा है तो हम हैं.”

हालांकि, राजेंद्र राठौड़ का अपमान उनके समर्थकों को नागवार गुजरा है. उन्होंने राजेंद्र राठौड़ के इस पोस्ट पर असमति जताई है. समर्थकों ने कहा- आप हैं तो भाजपा है, हमारे लिए आप ही संगठन हो और आप ही पार्टी, हम भाजपा के गुलाम नहीं हैं, आपका अपमान पूरे क्षत्रिय समाज का अपमान है.

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एक समर्थक ने राजेंद्र राठौड़ से कह दिया कि अगर आपको संगठन से मोह है तो क्षत्रिय समाज की ओर से भी यह फरमान है कि आप आगे से किसी गैर राजपूत के लिए समाज से वोट मांगने नहीं आएंगे.

क्यों है राजपूतों में उबाल

दरअसल, राजेंद्र सिंह राठौड़ के समर्थक उस समय से नाराज है जब विधानसभा में उनकी टिकट बदल दी गई, और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राजेंद्र राठौड़ को चूरू के बजाए तारानगर से उतारा गया. इसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव में भी टिकट नहीं दिया गया. वहीं अब राजेंद्र सिंह राठौड़ अपनी नई जिम्मेदारी के लिए दिल्ली तक भटक रहे हैं. ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें राजस्थान में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी. लेकिन अब तक उन्हें किसी भी जिम्मेदारी से दूर रखा गया है. अब वह खुद को सामान्य कार्यकर्ता बता रहे हैं.

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इतना ही नहीं उनका नाम राज्यसभा सीट के लिए भी चर्चाओं में थे. उनके समर्थकों को भरोसा था कि राजस्थान की एक खाली राज्यसभा सीट पर उन्हें खड़ा किया जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अब इसके बाद एक नए प्रदेश प्रभारी द्वारा जब खुले मंच पर राजेंद्र राठौड़ का नाम लेकर उनकी हाजरी लगाई गई तो समर्थकों के धैर्य का बांध टूट गया.

बीजेपी और राधामोहन अग्रवाल को भरना पड़ सकता है खामियाजा

बीजेपी से की ओबीसी और एससी-एसटी नीति से पहले ही राजपूत वर्ग में नाराजगी है. ऐसे में दिग्गज राजपूत नेता राजेंद्र राठौड़ के अपमान के बाद बीजेपी को इसका खामियाजा भरना पड़ सकता है. वहीं निश्चित रूप से राधामोहन अग्रवाल को अब राजपूत वर्ग की ओर से विरोध झेलना पड़ सकता है. राजस्थान में जल्द ही 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है ऐसे में राजपूत वर्ग की नाराजगी फिर से बीजेपी को महंगा पड़ सकता है.

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