Organ Transplant Case: ऑर्गन ट्रांसप्लांट एनओसी (Organ Transplant NOC) मामले में लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं और कई बड़े खुलासे भी हो रहे हैं. ऑर्गन ट्रांसप्लांट फर्जी एनओसी मामले में जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा एक जांच कमेटी बनाई गई थी. जिसमें चिकित्सा शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय टीम का गठन किया गया था. वहीं कमेटी की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं.
- प्रदेश में 15 अस्पतालों में मानव अंग प्रत्यारोपण किया जा रहा था. इनमें 4 सरकारी एवं 11 निजी अस्पताल हैं. फर्जी एनओसी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने सभी अस्पतालों का रिकॉर्ड जांच के लिए अपनी निगरानी में ले लिया था.
- जांच में सामने आया कि विगत एक वर्ष में करीब 945 प्रत्यारोपण हुए. इनमें से 82 सरकारी अस्पतालों में एवं 863 निजी अस्पतालों में हुए. इनमें से 933 का रिकॉर्ड उपलब्ध हो गया है. इन 933 में से 455 प्रकरणों में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से एनओसी जारी किया जाना पाया गया. शेष 478 एनओसी कॉम्पीटेंट अथॉरिटी से जारी होना पाया गया है.
- नियमानुसार कॉम्पीटेंट अथॉरिटी निजी रिश्तेदारों (गैर विदेशी) के मध्य होने वाले अंग प्रत्यारोपण में एनओसी जारी कर सकती है, जो कि एसएमएस, एम्स तथा महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में गठित हैं. कुल 933 अंग प्रत्यारोपण में से 882 किडनी तथा 51 लीवर के ट्रांसप्लान्ट थे. प्रत्यारोपण के 269 केस ऐसे सामने आए, जिनमें डोनर एवं रिसीवर नजदीकी रिश्तेदार नहीं थे.
- सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एक वर्ष में हुए कुल प्रत्यारोपण में से 171 प्रत्यारोपण विदेशी नागरिकों (करीब 18 प्रतिशत) के हुए. विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण मुख्यतः चार अस्पतालों में हुए. फोर्टिस अस्पताल में 103, ईएचसीसी में 34, मणिपाल हॉस्पिटल में 31 तथा महात्मा गांधी अस्पताल में 2 विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण हुए.
- फोर्टिस, ईएचसीसी एवं मणिपाल हॉस्पिटल में नियम विरुद्ध प्रत्यारोपण पाए जाने पर इनका अंग प्रत्यारोपण का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था.तीनों अस्पतालों के विरूद्ध पुलिस जांच भी जारी है.
- वर्ष 2020 में ही एनओसी की प्रमाणिकता को लेकर संदेह पैदा हुआ था. लेकिन उस समय इस तथ्य की अनदेखी की गई.
- चेन्नई एवं बुलंदशहर में प्रत्यारोपण के लिए जारी एनओसी की प्रमाणिकता जांचने के लिए एसएमएस प्रशासन को पत्र लिखा गया था. लेकिन उसकी गंभीरता को नजरअंदाज किया गया. यदि उसी समय इस पर एक्शन लिया जाता तो इस अपराध को पहले ही रोका जा सकता था.
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रकरण सामने आने के बाद पूरी गंभीरता के साथ एक्शन लेते हुए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार पाए गए अधिकारियों एवं कार्मिकों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की है.
- विदेशी नागरिकों के प्रत्यारोपण एवं इसमें निजी अस्पतालों की लिप्तता की जांच पुलिस, एसीबी एवं एप्रोप्रिएट अथॉरिटी द्वारा की जा रही है. साथ ही एसआईटी का भी गठन कर दिया गया है.
- जांच में जैसे-जैसे तथ्य सामने आएंगे, कार्रवाई की जाएगी. इस प्रकरण के बाद अब प्रत्यारोपण को लेकर किसी तरह की अनियमितता नहीं हो और यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी भ्रष्टाचार मुक्त एवं ऑनलाइन बने, इसके लिए एसओपी एवं जरूरी गाइडलाइन तैयार की जा रही है. हम फुल प्रूफ सिस्टम विकसित कर राजस्थान को अंग प्रत्यारोपण क दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाएंगे.
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