जयपुर के JK लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी सामने आने पर एक्शन में स्वास्थ्य विभाग, लिया ये बड़ा फैसला

ब्लड बैंकों के संचालन के लिए ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज सेक्शन की स्थापना की जाएगी. यह सेक्शन प्रदेश में औषधि नियंत्रण विभाग के साथ समन्वय कर ब्लड बैंक से संबंधित समस्त कार्यों में पारदर्शिता और नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करेगा.

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प्रतीकात्मक फोटो

JK loan plasma case: राजस्थान में ब्लड बैंकों के संचालन के लिए ट्रांसफ्यूजन सर्विसेज सेक्शन की स्थापना की जाएगी. यह सेक्शन प्रदेश में औषधि नियंत्रण विभाग के साथ समन्वय कर ब्लड बैंक से संबंधित समस्त कार्यों में पारदर्शिता और नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करेगा. शनिवार को जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव ने जेके लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी प्रकरण में गठित की गई जांच टीम द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के मौक पर दी. 

उन्होंने कहा कि रोगियों को बिना किसी परेशानी के रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है. इसके लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन तंत्र को सुदृढ़ किया जाएगा. ब्लड बैंक से संबंधित सभी चिकित्सकों को एवं पैरामेडिकल स्टाफ को नियमित प्रशिक्षण भी प्रदान किाा जाएगा.

बार कोड आधारित इन्वेंट्री सिस्टम होगा लागू 

शुभ्रा सिंह ने बताया कि सभी ब्लड बैंकों के निरीक्षण के लिए जोनल टीमों का गठन किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नियमित अंतराल पर इनका निरीक्षण हो. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि चिकित्सा विभाग द्वारा ब्लड बैंकों में बेहतर विजिलें के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार करवाया जाएगा, जिसमें बार कोड आधारित इन्वेंट्री मैनेजमेंट एवं सप्लाई सिस्टम होगा. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ब्लड बैंकों की रियल टाइम मॉनिटरिंग हो सकेगी.

सोनी अस्पताल में अनियमितता मिलने पर नोटिस

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि जांच टीम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार जेके लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी मामले में एक निजी अस्पताल की भूमिका की सूचना पर विभाग ने सोनी अस्पताल स्थित ब्लड बैंक की भी जांच की गई है. यहां अनियमितताएं पाई जाने पर अस्पताल को नोटिस जारी किया गया है.

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उन्होंने बताया कि टीम द्वारा जयपुरिया एवं एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंकों का भी निरीक्षण किया गया. इन दोनों अस्पतालों के ब्लड बैंकों में व्यवस्था सुचारू पाई गई. गौरतलब है कि जेके लोन अस्पताल में प्लाज्मा चोरी का मामला सामने आने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल प्रभाव से जांच दल गठित किया था. इस दल में अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील कुमार परमार, उप वित्तीय सलाहकार सुरेश चंद जैन, अतिरिक्त निदेशक एड्स कंट्रोल सोसायटी डॉ. केसरी सिंह शेखावत एवं औषधि नियंत्रक प्रथम डॉ. अजय फाटक को शामिल किया गया था.

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