ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष पर सारी दुनिया का ध्यान लगा है क्योंकि इस युद्ध की आंच किसी भी देश तक पहुंच सकती है. भारत में भी इसे लेकर लगातार विश्लेषण हो रहा है कि इसका देश पर क्या असर हो सकता है. लेकिन इस बीच इस संघर्ष का असर राजस्थान और मध्य प्रदेश में किसानों की मंडी तक पहुंच गया है. संघर्ष की वजह से हाड़ौती की मंडी में धान के दाम में भारी गिरावट आ गई है. हालात जल्दी सामान्य नहीं हुए तो इससे चावल निर्यातकों, धान की खेती करनेवाले किसान तथा चावल मिलों में काम करने वाले मज़दूरों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है.
ईरान को चावल का निर्यात रुका
राजस्थान में धान की खेती के लिए हाड़ौती का इलाका पूरे देश में मशहूर है. हाड़ौती में उपजने वाले चावल की डिमांड पूरे देश में होती है. यहां की कई उन्नत किस्म के चावल का निर्यात विदेश तक होता है. लेकिन लड़ाई छिड़ने के बाद यह निर्यात बाधित हो गया है.
हाड़ौती की मंडी के एक व्यापारी ने बताया," हाड़ौती से 50 लाख टन चावल ईरान को निर्यात होता था. कोटा, बूंदी, हाड़ौती और मध्य प्रदेश के श्यौपुर में उपजाए जानेवाले धान का 80% बासमती चावल के रूप में ईरान और यूएई समेत खाड़ी के अन्य देशों में निर्यात होता है. लेकिन संघर्ष की वजह से हाड़ौती से ईरान में निर्यात होने वाला करोड़ों रुपए का धान बंदरगाहों पर अटक गया है. इससे 1 जुलाई को जिस धान की शिपमेंट होनी थी वो अब सितंबर में चली गई है."
हाड़ौती की मंडी में कोटा, बूंदी और मध्य प्रदेश के श्यौपुर का धान आता है
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गिरे धान के दाम
व्यापारियों ने बताया कि चावल निर्यात रुकने की वजह से मंडी में चावल की आपूर्ति बढ़ गई है जिससे कीमत गिर गई है. इसकी वजह से धान की कीमत में 1000 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आ गई है.
हाड़ौती की धान मंडी के व्यापारियों का कहना है कि ईरान और इजरायल के संघर्ष की वजह से मंडी में भी धान के दामों में गिरावट हुई है और प्रति क्विंटल धान की कीमत 3900 रुपये से घटकर 3200 रुपये पर आ गई है. इसके अलावा धान के करीब 3 करोड़ बैग मंडी में आ चुके हैं. लेकिन निर्यात रुकने की वजह से पेमेंट अटक गया है.
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