Rajasthan News: गजल सम्राट जगजीत सिंह की मखमली और दर्द भरी आवाज आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंजती है. आज उनकी पुण्यतिथि है. इस मौके पर पूरा देश उन्हें शिद्दत से याद कर रहा है, लेकिन राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर में एक अजीब-सी मायूसी छाई है. यह वही धरती है जिसने जगजीत सिंह को जन्म दिया और जहां उनका बचपन बीता. श्रीगंगानगर के इस महान सपूत की यादों को सहेजने के लिए 1 करोड़ रुपये की लागत से एक म्यूजियम बनकर तैयार है, मगर विडंबना यह है कि यह म्यूजियम उद्घाटन का इंतजार कर रहा है.
जहां रियाज किया, वहीं बना म्यूजियम
जगजीत सिंह ने अपनी सादगी और दिल को छू लेने वाली गायकी से हिंदी गजल को एक नई पहचान दी. उनके गीत जैसे 'होठों से छू लो तुम', 'चिट्ठी न कोई संदेश', और 'झुकी झुकी सी नजर' आज भी कालजयी हैं. श्रीगंगानगर शहर के संगीत प्रेमी और स्थानीय लोग लंबे समय से चाहते थे कि शहर में उनकी यादों को स्थायी रूप से संजोया जाए. इस पहल के तहत जो म्यूजियम बनाया गया है, उसकी एक खास बात यह है कि यह ठीक उसी जगह पर बना है जहाँ जगजीत सिंह ने अपना बचपन गुजारा और संगीत का रियाज किया था.
आरडी बर्मन फैन क्लब के सदस्य हर साल जगजीत सिंह की याद में विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. उनका कहना है कि इस म्यूजियम में जगजीत सिंह के जीवन, कला, उपलब्धियों और उनसे जुड़ी व्यक्तिगत चीजों को सहेजा जाएगा, ताकि नई पीढ़ी उनके संघर्ष और सफलता की कहानी जान सके.
इंतजार क्यों? स्थानीय क्लब ने संभाला जिम्मा
करीब 1 करोड़ रुपये की लागत से यह भव्य म्यूजियम तो तैयार हो गया है, लेकिन इसके उद्घाटन में हो रही देरी ने स्थानीय लोगों को निराश किया है. म्यूजियम का उद्घाटन कब होगा, इस पर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट समय-सीमा अभी तक नहीं दी गई है. हालांकि, स्थानीय आरडी बर्मन फैन क्लब ने एक सकारात्मक पहल करते हुए कहा है कि अगर प्रशासन अनुमति दे, तो वे इस म्यूजियम का रखरखाव करने के लिए तैयार हैं.
क्लब के सदस्यों और स्थानीय प्रशासन द्वारा म्यूजियम के उद्घाटन को भव्य बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए जगजीत सिंह की पत्नी चित्रा सिंह और देश के कई नामी गजल गायकों को बुलाने की तैयारी की जा रही है. उम्मीद है कि इन हस्तियों की मौजूदगी में यह म्यूजियम जल्द ही आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा.
गजलों के बादशाह की विरासत
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को श्रीगंगानगर में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा इसी शहर से पूरी की. संगीत के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था. उनकी आवाज ने न केवल गजलों को एक नया आयाम दिया, बल्कि उन्हें हर घर तक पहुंचाया. उनकी पुण्यतिथि पर यह म्यूजियम सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि उनकी अमर कला को श्रद्धांजलि है. श्रीगंगानगर शहर की मांग है कि प्रशासन इस म्यूजियम को जल्द से जल्द शुरू करें, ताकि उनकी यादें सिर्फ किताबों या गीतों में ही नहीं, बल्कि उनकी जन्मभूमि पर भी जीवंत रह सकें. इस म्यूजियम का खुलना जगजीत सिंह के प्रशंसकों के लिए किसी सौगात से कम नहीं होगा.
कलेक्टर बोलीं- जल्द करेंगे उद्घाटन
जिला कलेक्टर डॉ मंजू का कहना है कि जल्दी ही इस म्यूजियम का विधिवत रूप से उद्घाटन करवाया जाएगा. श्रीगंगानगर विधायक जयदीप बिहानी का भी कहना है कि इस म्यूजियम के माध्यम से सुरों के सम्राट जगजीत सिंह की यादों को हमेशा के लिए अमर किया जाएगा.
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