कौन सा राज छिपा रहा नीरजा मोदी स्कूल? अमायरा की मौत पर चुप्पी से उठ रहे सवाल

बच्ची के माता-पिता भी स्कूल के इस संवेदनहीन रवैए से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि कोई बयान तो छोड़िए. इस घटना के बाद स्कूल की ओर से कोई सांत्वना संदेश भी नहीं आया है.

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अमायरा की मौत पर कौन सा राज छिपा रहा नीरजा मोदी स्कूल?

Rajasthan News: जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में पढ़ने वाली कक्षा 4 की छात्रा की मौत को आज 9 दिन हो गए हैं. नौ दिन से स्कूल प्रशासन बच्ची की मौत पर चुप्पी साधे हुए हैं. नौ दिन से स्कूल प्रशासन एक संदेश बच्ची के लिए नहीं भेज पाया है. आखिर एक छोटी बच्ची ने ये कदम क्यों उठाया? ऐसा क्या था जो उस बच्ची को परेशान कर रहा था? और इस सब पर स्कूल मौन क्यों है? ये सवाल हर दिन और गहरा होता जा रहा है. 

न्याय के इंतजार में माता-पिता परेशान

अपनी बच्ची के न्याय के इंतजार में उसके मां-पिता परेशान हैं. इसी सब के बीच एनडीटीवी की टीम ने पड़ताल की. इसमें सामने आया कि घटना वाले दिन मौके पर से खून के धब्बे मिटवाने का काम स्कूल प्रशासन के कहने पर ही हुआ होगा. स्कूल में काम करने वाले सफाईकर्मी ने कहा कि खून के धब्बे सुपरवाइजर के कहने पर ही हटाए होंगे.

वहीं, हमनें लगातार इसको लेकर स्कूल से बात करनी चाही. सोमवार सुबह भी जब नंबर बदल कर हमनें कॉल किया. इसके बाद स्कूल की तरफ से थोड़ी देर बाद कॉल बैक आया. सामने से एक महिला कार्मिक ने अपना परिचय दिया कि मैं नीरजा मोदी स्कूल से बात कर रही हूं. आपका कॉल आया था. जब हमनें अपना परिचय देकर उनसे सुसाइड केस का पूछा तो उन्होंने सुनते ही कॉल काट दिया. इसके बाद स्कूल से कोई संपर्क नहीं हो पाया. 

स्कूल के मुख्य द्वार पर गार्ड ने लगाया ताला

इसके बाद एनडीटीवी की टीम ने स्कूल जाकर बात करने की कोशिश की. मीडिया को देखते ही वहां मौजूद गार्ड ने स्कूल के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया. वहीं, दूसरी ओर बच्ची के माता-पिता भी स्कूल के इस संवेदनहीन रवैए से परेशान हैं. उन्होंने कहा कि कोई बयान तो छोड़िए. इस घटना के बाद स्कूल की ओर से कोई सांत्वना संदेश भी नहीं आया है.

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वहीं, बच्ची के परिजनों ने बताया कि इतनी बार शिकायत करने के बाद भी स्कूल प्रशासन ने बच्ची की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया. हमनें बच्ची का स्कूल बदलने का भी प्रयास किया था. इसी साल मार्च में उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल में बच्ची के एडमिशन के लिए आवेदन किया था, लेकिन प्रवेश न मिल पाने के कारण वे स्कूल नहीं बदलवा पाए.

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