Jaipur: मानसून को लेकर बीसलपुर बांध तैयार, 15 जून से शुरू हुआ SCADA

15 जून से बीसलपुर बांध के स्काडा सिस्टम से लैस कंट्रोल रूम ने कार्य करना शुरू कर दिया है. वह मानसून के दौरान बीसलपुर बांध में पानी की आवक और निकासी को स्काडा सिस्टम के माध्यम से ही ऑपरेट किया जाएगा.

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बीसलपुर बांध

Rajasthan News: राजस्थान में मानसून की एंट्री कब होगी और इस बार वो कितना प्रभावी रहेगा? यह सवाल आजकल हर किसी के जहन में घुम रहा है. इसका सटीक जवाब तो अभी नहीं मिल सका है, लेकिन जयपुर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) पर शनिवार सुबह से ही मानसून को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, और प्रदेश के पहले सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन सिस्टम (SCADA ) ने कार्य करना शुरू कर दिया है. इसके माध्यम से बांध के जलग्रहण क्षेत्रों से बांध की त्रिवेणी से आवक और बांध के गेट खोलकर पानी की निकासी को कम्यूटराइज्ड तरीके से संचालित किया जा सकेगा.

15 जून से बीसलपुर बांध के स्काडा सिस्टम से लैस कंट्रोल रूम ने कार्य करना शुरू कर दिया है. वह मानसून के दौरान बीसलपुर बांध में पानी की आवक और निकासी को स्काडा सिस्टम के माध्यम से ही ऑपरेट किया जाएंगा. इस पूरे प्रोसेस पर बांध पर स्थापित स्काडा कंट्रोल रूम में लगाई गई 80 इंच की एलईडी से नजर रखी जा सकेगी. शनिवार की सुबह बांध से मिली जानकारी के अनुसार, बांध का जलस्तर 309.94 आरएल मीटर था और बांध में 10.339 टीएमसी पानी मौजूद है. वह त्रिवेणी बनास नदी भीलवाड़ा पर शनिवार का गेज 0 दर्ज हुआ है. यह जानकारी स्काडा पर मौजूद है.

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प्रदेश का पहला ऐसा बांध

बीसलपुर बांध परियोजना के अधिशासी अभियंता मनीष बंसल ने बताया कि टोंक जिले में बनास नदी पर मौजूद बीसलपुर बांध प्रदेश का पहला ऐसा बांध है जहां 2020 में प्रदेश का पहला हाईटेक सिस्टम स्काडा अर्थात सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजिशन सिस्टम (स्काडा ) स्थापित किया गया था और सिस्टम स्थापित होने के 2 साल बाद पहली बार 26 अगस्त को सुबह बांध के दो गेटों से पानी की निकासी 2022 में तत्कालीन जिला कलेक्टर के हाथों स्काडा सिस्टम के माध्यम से कंप्यूटराइज्ड तरीके से एक किलिक पर बांध के दो गेट खोलकर पानी छोड़ा गया था.

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बांध के 18 गेटों पर कैमरे

बीसलपुर बांध के सभी 18 गेटों पर कैमरे लगे होने के साथ ही बांध के नियंत्रण कक्ष में 80 इंच का एलईडी सिस्टम लगा है जिसपर त्रिवेणी संगम पानी की आवक से लेकर बांध में मौजूद पानी की सम्पूर्ण जानकारी नजर आती है. इस हाईटेक सिस्टम के तहत मानसून सत्र के दौरान बनास, खारी और डाई नदियों से होने वाली बांध में पानी की आवक की पल-पल की जानकारी कम्प्यूटर के माध्यम से मौजूद रहती है. वहीं सभी 18 कैमरों का नियंत्रण कम्प्यूटर कीबोर्ड के माध्यम से किया जाता है.

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2019 में खुले थे सभी 18 गेट

बीसलपुर बांध के निर्माणकाल से लेकर अब तक बांध से 6 बार गेट खोलकर पानी की निकासी की गई है. बांध बनने के बाद पहली बार 2004 मे बीसलपुर बांध लबालब भरा था और इसके गेट खोलकर पानी की निकासी की गई. उसके बाद दूसरी बार 2006 में बांध से 43 टीएमसी पानी की निकासी की गई. 2014 में तीसरी बार बांध से 11 टीएमसी पानी की निकासी की गई. 2016 में चौथी बार गेट खोलकर 93 टीएमसी पानी की निकासी की गई. बीसलपुर बांध के 21 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा 135 टीएमसी की निकासी 2019 में की गई और अब तक 2019 मे ही एक साथ बांध के सभी 18 गेटों को खोलकर पानी की निकासी की गई थी. इसके बाद 2022 में बांध से छठी बार गेट खोलकर पानी की निकासी की गई थी, जिसमें राजस्थान में 2020 में लगे पहले स्काडा सिस्टम (कंप्यूटराइज्ड तरीके से)का प्रयोग किया गया था.

6 जिलों से आता है बांध में पानी

बीसलपुर बांध का कैचमेंट एरिया छह जिलों में हैं. जिसमें भीलवाड़ा का 51 प्रतिशत, चित्तौड़गढ़ का 17, उदयपुर का 6, अजमेर का 15, टोंक का 2 और प्रतापगढ़ का 1 प्रतिशत क्षेत्र है. वहीं चित्तौड़गढ़ में गम्भीरी डेम से पानी की निकासी के बाद उसका पानी भी बीसलपुर बांध में बहकर आता है. गम्भीरी डेम में पानी की आवक मध्यप्रदेश से होती है.