Rajasthan News: जयपुर के भांकरोटा में गैस टैंकर ब्लास्ट में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 14 लोगों का अभी भी जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज चल रहा है, इसमें दो की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है. जिस दिन हादसा हुआ था, उस दिन 13 लोगों की मौत हुई थी. वहीं, मंगलवार को दो और बुधवार को तीन घायलों की मौत के बाद मृतकों की संख्या 18 पहुंच गई. आज, 25 दिसंबर को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ने वालों में विनीता (विजिता) का नाम शामिल है. 22 साल की विनीता उदयपुर से परीक्षा देकर जयपुर लौट रही थी.
मंजिल पर पहुंचने से पहले हादसा
विनीता (विजिता मीणा) जयपुर के गैस टैंकर हादसे के समय बस के दरवाजे के पास खड़ी थी और जयपुर में 200 फुट बाइपास पर उसके रुकने का इंतजार कर रही थी. हालांकि, विनीता (विजिता) व उनके अलावा बस में सवार किसी को भी नहीं पता था कि स्टॉप से कुछ मीटर पहले ही इतनी बड़ी घटना हो जाएगी. जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुए इस भीषण अग्निकांड में विनिता गंभीर रूप से झुलस गई थीं और जिंदगी-मौत की जंग से लड़ते हुए बुधवार को तड़के एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ दिया.
आज तीन लोगों ने तोड़ा दम
विनीता इस हादसे में गंभीर रूप से झुलसे उन तीन लोगों में से एक है जिन्होंने बुधवार को दम तोड़ा. वह उदयपुर से जयपुर जा रही उस बस में सवार थी जो शुक्रवार सुबह जयपुर-अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक ट्रक और एलपीजी टैंकर के बीच टक्कर के बाद आग की चपेट में आ गई. विजिता के पिता रामचंद्र ने बताया कि वह परीक्षा देने उदयपुर गई थी और शुक्रवार सुबह ट्रेन से जयपुर आने वाली थी, लेकिन उसने बृहस्पतिवार रात को ही स्लीपर बस से जयपुर जाने का निर्णय ले लिया, क्योंकि उसे लगा कि वह जल्दी पहुंच जाएगी.
बस से कूदकर भागी थी विनीता
मुझे उम्मीद थी कि वह फोन करके बताएगी कि वह जयपुर पहुंच गई है. मुझे फोन आया, लेकिन यह सुनकर सदमा लगा कि बस में आग लगी हुई है. जब आग लगी, तो उसने तुरंत मुझे फोन किया. मैं सुनकर स्तब्ध रह गया. फोन कट गया और कुछ देर बाद हमें पता चला कि वह बुरी तरह से घायल हो गई है. आग लगने के बाद विनीता बस से कूद गई और कुछ दूर तक भागी, लेकिन तब तक वह गंभीर रूप से झुलस चुकी थी.
वह 70 फीसदी झुलस गई थी, उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया था. हालांकि, हादसे के 5वें दिन विनीता ने दम तोड़ दिया. प्रतापगढ़ के रहने वाले रामचंद्र ने बताया कि विनीता (विजिता) जयपुर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी. वह अपनी छोटी बहन के साथ जयपुर में रह रही थी. वह पढ़ाई में काफी होशियार थी और उसका शिक्षक बनने का सपना था.
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