Rajasthan News: राजस्थान में हाउसिंग सोसाइटी के पट्टों की रजिस्ट्री के मामले को लेकर चल रहा गतिरोध शुक्रवार शाम दूर हो गया है. रजिस्ट्रेशन और स्टांप के डीआईजी देवेंद्र कुमार जैन से 'द डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन' के प्रतिनिधियों की मीटिंग के बाद इस मामले का समाधान निकला. डीआईजी देवेंद्र जैन ने कहा कि, जो आदेश आया था, उसकी कुछ जगह गलत व्याख्या समझ ली गई, जिससे गतिरोध उत्पन्न हुआ.
कौन से आदेश का था विरोध
दरअसल वित्त विभाग की तरफ से जारी आदेश में पावर ऑफ अटॉर्नी के मामलों में शपथ पत्र लिए जाने के साथ पट्टों की रजिस्ट्री को लेकर कुछ निर्देश थे. विभाग के आदेश की व्याख्या को इस रूप में समझ लिया गया कि सोसाइटी की तरफ से काटी गई आवासीय कॉलोनी में भूखंड खरीदने पर उसके पट्टे की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी. इसके बाद वकीलों ने नई व्यवस्था पर ऐतराज जताया.
इसके साथ कई जगह भूखंडों की खरीद-फरोख्त लगातार चलते रहती है. ऐसे में अगर सोसाइटी पट्टों की रजिस्ट्री पूरी तरह रोक दी गई, तो आमजन को परेशानी होने का अंदेशा वकीलों ने जताया था. हालांकि इसके चलते वकीलों के काम पर भी कुछ फर्क पड़ रहा था. सचिवालय में गुरुवार को वकीलों ने अपना एतराज जताते हुए अधिकारियों के सामने बात रखी. इधर शुक्रवार को जयपुर शहर कांग्रेस के अध्यक्ष आर आर तिवाड़ी की अगुवाई में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने भी जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी को ज्ञापन दिया और पहले की व्यवस्था बहाल करने की मांग की.
डीआईजी देवेंद्र कुमार के साथ वकीलों की वार्ता
शुक्रवार को एक बार फिर वकीलों की रजिस्ट्रेशन और स्टांप विभाग के डीआईजी देवेंद्र कुमार जैन से बातचीत हुई. इसमें डीआईजी ने बताया कि आदेश की गलत व्याख्या के चलते यह गड़बड़ी हुई. डीआईजी देवेंद्र जैन ने वकीलों के समक्ष इस बात का ऐलान भी किया कि जिस तरह रजिस्ट्री का काम पहले चल रहा था, वैसे ही नियमित रूप से चलता रहेगा. हालांकि पावर ऑफ अटॉर्नी के मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि पावर ऑफ अटॉर्नी जिस व्यक्ति के नाम होगी, उसकी रजिस्ट्री के मामले में एक शपथ पत्र देना होगा.
डीआईजी जैन ने कहा कि शपथ पत्र इस बात का देना होगा कि जो व्यक्ति जमीन का मालिक है, उसने पावर ऑफ अटॉर्नी दी है और वह जीवित है. इस पर वकीलों ने सहमति जताई और डीआईजी देवेंद्र जैन का आभार भी जताया. डीआईजी देवेंद्र जैन ने कहा कि पहले की तरह सोसाइटी पट्टों की रजिस्ट्री जारी रहेगी, इसके आदेश सभी सब–रजिस्ट्रार दफ्तर को भी भेज दिए गए हैं. वकीलों के संगठन इसे अपनी एकता की जीत बता रहे हैं तो साथ ही उनका कहना है कि, पहले की व्यवस्था लागू होने से आमजन को भी काफी राहत मिलेगी.
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