Rajasthan News: जयपुर में 17 साल का वनवास काट एक युवक वापस अपने घर लोट आया. 17 साल पहले लापता हुए महिंद्र योगी को अचानक से दरवाज़े पर देखकर मां की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा है. वहीं, बेटा भी माता पिता के गले लगकर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा. परिवार का कहना है कि महेंद्र के चेहरे पर चोट के निशान हैं और शरीर पर मारपीट के निशान हैं. परिवार ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके बेटे को बंधक बनाया गया और मारपीट की गई. उसे बंधुवा मजदूर बना के रखा गया.
'न बोल सकता, न सुन सकता'
आमेर स्थित नटाटा गांव में महेन्द्र योगी नाम का यह शख़्स 17 साल पहले अपने घर से निकल गया था. अब 17 साल बाद बोलने में अक्षम, सुनने में दिक्कत, फिर भी हज़ारों किलोमीटर का रास्ता तय करके महेंद्र अकेला घर पहुंचा. वह 17 साल पहले अपनी नानी के घर चोमू के लिए निकला था, लेकिन दोबारा लौटकर घर नहीं पहुंचा और अपने पीछे सिर्फ आंसू और अपनी यादें छोड़ गया. उम्मीद छोड़ चुके घरवालों ने महेंद्र को देखा तो ख़ुशी के आंसू रुक नहीं रहे हैं, बहन रो रही है और आज घर पर परिवार का जमावडा लगा है. हर कोई लापता महेंद्र और चमत्कार को देखने के लिए आया है.
महेंद्र के पिता का नाम सीता राम और माता का नाम कमला देवी है. कमला के 7 बेटे हैं और एक बेटी है. महेंद्र जब लापता हुआ तो ये परिवार ने उसे जगह जगह ढूंढा. पुलिस तक को रिपोर्ट दर्ज करवाई, लेकिन कहीं से कोई सुराग़ नहीं मिला. कल शाम को छह बजे महेंद्र घर पर लौटा और अचानक से उसकी बहन ने उसे देखा और उसके बाद माता पिता के गले लगकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा. परिवार ने बताया कि महेंद्र जब जयपुर से निकला तो रास्ता भटक गया. बस के माध्यम से वह राजस्थान के बाहर चला गया था.
मोबाइल में मिले कुछ फोटो
महेंद्र के मोबाइल फ़ोन से कुछ फ़ोटो मिले हैं, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि वह हलवाई का काम करता था. किसी रेस्टोरेंट में उसे काम करवाया जाता था. हालांकि उस पर क्या क्या बीता. वह अपनी आपबीती घर वालों को अच्छे से नहीं समझा पा रहा है. इशारों में महेन्द्र ने बताया कि उसके साथ मारपीट की एक युवक की फोटो भी उसने दिखाई. परिजनों का कहना है कि उससे टॉर्चर किया गया. पैर के नाखूनों आड़े गए. जंजीरों से बांधा रखा जाता था. बंधुआ मज़दूर बनाकर रखा हुआ था.
जल महल जाता था महेंद्र
परिवार ने आरोप लगाया कि समुदाय विशेष के लोग उसे मारपीट करते थे. उन लोगो लोगों की क़ैद में और भी बच्चे हो सकते हैं. पुलिस उन्हें भी क़ैद से आज़ाद करवाये. महेंद्र के मोबाइल फ़ोन में जयपुर की लोकेशन मिली है, जिससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि वह लोकेशन के माध्यम से जयपुर आया. जब वह 15 साल का था, तब अक्सर जल महल जाया करता था.
जब महाराष्ट्र में उसे एक व्यक्ति ने मोबाइल में जल महल की फोटो बताई तो उसे जयपुर की याद आयी और उसने वापस जयपुर आने की ठान ली. महेंद्र के पास पैसे नहीं थे. उसे बोलना नहीं आता तो रास्ते में कई लोगों ने उसकी मदद की. महेन्द्र के पास कई ऐसी पर्ची मिली है, जिसमें लिखा हुआ है वहां से आपको जयपुर की बस मिलेगी, मेवाड़ जोधपुर और उदयपुर होते हुए महेन्द्र जयपुर पहुंचा.