जैसलमेर में 70 हजार बीघा जमीन को बचाने के लिए कवायद शुरू, प्रशासन ने उठाया ये कदम

Jailsamer News: जिला प्रशासन ने उपखण्ड अधिकारियों की निगरानी में जल संसाधन विभाग के अभियंता, पटवारी और भू-अभिलेख निरीक्षकों की संयुक्त टीमें गठित की हैं.

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Jaisalmer Administration Action: जैसलमेर में लम्बे वक्त से चल रही ओरण, गोचर और परम्परागत जल स्त्रोतों को संरक्षित करने के लिए जिला प्रशासन ने कदम उठाया है. ओरण, आगोर, तालाब, नाड़ी, नदी-नाला जैसी पारंपरिक जल संपदाओं को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है. जिला प्रशासन ने उपखण्ड अधिकारियों की निगरानी में जल संसाधन विभाग के अभियंता, पटवारी और भू-अभिलेख निरीक्षकों की संयुक्त टीमें गठित की हैं. ये टीमें ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर सीमांकन, सर्वेक्षण और अभिलेख प्रविष्टि का कार्य कर रही हैं, ताकि इन धरोहरों को भविष्य में अतिक्रमण या अवैध उपयोग से बचाया जा सके.

47 गांवों के जलस्त्रोत के लिए अनुशंसा भेजी

अब तक 47 गांवों के पारंपरिक जल स्रोतों और उनके कैचमेंट एरिया की लगभग 70 हजार बीघा भूमि के प्रस्ताव जिला कलक्टर की अनुशंसा सहित राज्य सरकार को राजस्व रिकॉर्ड में इंद्राज के लिए भेजे जा चुके हैं. इनमें तहसील जैसलमेर के सुल्तानपुरा, चूंधी, अमरसागर, कुलधर, रामकुण्डा, मूलसागर, बडाबाग, पिथला, लिदरवा, हमीरा सहित दर्जनों गांव शामिल हैं.

भूमि को स्थायी रूप से सुरक्षित करने की कवायद

जल संरचनाओं की स्थायी सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी. उपखंड अधिकारी, तहसीलदार और राजस्व अमले की विशेष टीमें फील्ड में जाकर सीमांकन कार्य को प्राथमिकता से पूरा कर रही हैं. इस अभियान में स्थानीय ग्रामीणों और बुजुर्गों की सहभागिता को भी महत्वपूर्ण माना गया है. राजस्व टीमें परंपरागत ज्ञान और स्थानीय जानकारी के आधार पर सही स्थलों की पहचान कर रही हैं, जिससे जल स्रोतों और चारागाह जैसी भूमि को स्थायी रूप से सुरक्षित किया जा सके.

जैसलमेर विधायक छोटू सिंह भाटी ने कहा कि औरण, गोचर, नदी नाले, तालाब आदि प्राकृतिक धरोहरो का संरक्षण मेरी प्राथमिकता है. यह जैसलमेर के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. 
 

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