जैसलमेर सीट पर दावेदारों की घमासान, टिकट की रेस में सालेह, हरीश चौधरी में से किसकी चलेगी?

एक तरफ कांग्रेस आलाकमान के नज़दीकी कहे जाने वाले मानवेन्द्र सिंह जसोल का जैसलमेर से दावेदारी दावेदारी कर रहे हैं .वहीं दूसरी और लगभग 30 हज़ार मतों से जीत चुके वर्तमान विधायक रूपाराम तीसरी बार टिकट की मांग रहे हैं .

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मानवेंद्र सिंह जसोल और रूपराम धनदेव दोनों जता रहे दावेदारी
JAISALMER:

Jaisalmer Politics :  प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट वितरण का दौर जारी है. इस बीच जैसलमेर विधानसभा सीट ( Jaisalmer  Assembly Seat ) पर कांग्रेस की टिकट को लेकर घमासान चल रहा है. 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम चुके मानवेंद्र सिंह जसोल ( Manvendra Singh Jasol ) की जैसलमेर में एंट्री के साथ एक बार फिर शुरू हुई सियासी जंग अब अपने चरम पर है. जैसलमेर सीट पर कांग्रेस से प्रत्याशी चयन को जयपुर और दिल्ली में मंथन का दौर जारी है. लेकिन अब तक फैसला नहीं हो पाया है.

एक तरफ कांग्रेस आलाकमान के नज़दीकी कहे जाने वाले मानवेन्द्र सिंह जसोल का जैसलमेर से दावेदारी दावेदारी कर रहे हैं. वहीं दूसरी और लगभग 30 हज़ार मतों से जीत चुके वर्तमान विधायक रूपाराम तीसरी बार टिकट की मांग रहे हैं. इस लड़ाई में काबीना मंत्री सालेह मोहम्मद और हरीश चौधरी भी अपने-अपने चहेतों की पैरवी कर रहे हैं. फकीर परिवार और मंत्री शाले मोहम्मद जैसलमेर से मानवेन्द्र सिंह के नाम पर अड़े हुए हैं तो वही हरीश चौधरी वर्तमान विधायक रूपाराम की जमकर पैरवी कर रहे है.

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भूतपूर्व विधायक और मेघवाल समाज के वरिष्ठ नेता मुल्तानाराम बरुपाल ने अब इस मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है. उन्होंने प्रेस वार्ता में विधायक रूपाराम धनदेव को लेकर कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर सुना, देखा कि उन्होंने कहा है कि, मैं मेघवाल समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और मैं पूरे राजस्थान में कांग्रेस को सारी सीटें हरा दूंगा.

यह कहना उचित नहीं है. इस तरह की धमकी नहीं देनी चाहिए.रही बात टिकट की तो जैसलमेर की जनता और कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद देना चाहिए कि जनरल सीट पर दो बार चुनाव लड़ने का मौका दिया. इस तरह की धमकियों के आधार पर टिकट मांगना ठीक नहीं है. लोकतंत्र में ऐसी धमकी कोई नहीं सुनना चाहता है.हालांकि विधायक धनदेव का वीडियो अब तक सामने नहीं आया है.

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राजनीतिक विश्लेषक शरद व्यास कहते हैं कि, जैसलमेर कांग्रेस में वर्चस्व की लड़ाई नई नहीं है. यह लगभग ढाई दशक से चलती आ रही है. वर्तमान विधायक और मंत्री के बीच पूरे पांच साल शीतयुद्ध चलता रहा. जिसकी वजह से इन्होंने पंचायतीराज और पोकरण नगरपालिका भी गंवाई.

दो की लड़ाई के बीच पार्टी किसी तीसरे नाम पर भी विचार कर सकती है ? इस पर व्यास कहते हैं,  कांग्रेस में स्वार सीट पर विकल्प की गुंजाइश नहीं थी. इसलिए मानवेंद्र सिंह जैसलमेर आए. अगर कोई तीसरा विकल्प होता तो वह अब तक मैदान में आ चुका होता. जैसलमेर में विधायक रूपाराम धनदेव और उनकी बेटी अंजना मेघवाल जो पहले प्रमुख रह चुकी हैं.

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उन्होंने पूरे 5 साल फील्ड में अपना वक़्त गुज़ारा है क्योंकि पहले हुए सर्वे में उन्हें पार्टी ने फील्ड में खुद को मजबूत करने को कहा गया था. इसलिए वह लोग फील्ड में थे और उनका लक्ष्य था कि चुनाव लड़ना है. लेकिन पिछली बार कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के कहने पर मानवेंद्र सिंह ने झालरापाटन से चुनाव लड़ा था. माना जा रहा है कि, इस बार उन्होंने जैसलमेर से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई तो दिल्ली ने भी वीटो रखकर उन्हें यहां भेज दिया. 

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