Jalore News: राजस्थान की पंचायत का 'तुग़लकी फरमान', 15 गांवों में महिलाएं नहीं चला सकतीं स्मार्टफोन; विरोध शुरू 

पंचायत के फैसले के अनुसार महिलाओं को न सिर्फ स्मार्टफोन रखने से रोका गया है, बल्कि शादी-विवाह, सामाजिक कार्यक्रमों और यहां तक कि पड़ोसियों के घर जाने के दौरान भी मोबाइल फोन साथ ले जाने पर रोक लगाई गई है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Smartphone use banned for women in 15 villages: राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत के एक फैसले ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है. चौधरी समाज की सुंधामाता पट्टी की पंचायत ने 15 गांवों में महिलाओं  के लिए स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है. पंचायत का यह नियम आगामी 26 जनवरी से लागू किया जाएगा. फैसले के तहत महिलाओं को स्मार्टफोन की जगह केवल की-पैड मोबाइल इस्तेमाल करने की अनुमति होगी, जबकि कैमरे वाले मोबाइल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे.

पंचायत के फैसले के अनुसार महिलाओं को न सिर्फ स्मार्टफोन रखने से रोका गया है, बल्कि शादी-विवाह, सामाजिक कार्यक्रमों और यहां तक कि पड़ोसियों के घर जाने के दौरान भी मोबाइल फोन साथ ले जाने पर रोक लगाई गई है. यह निर्णय रविवार को गाजीपुर गांव में आयोजित समाज की बैठक में लिया गया. बैठक में प्रस्ताव पढ़कर सुनाया गया, जिसे चर्चा के बाद सभी पंचों ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव पर सहमति जता दी.

छात्राएं पढ़ाई के लिए कर सकेंगी फ़ोन का इस्तेमाल 

हालांकि पंचायत ने पढ़ाई कर रही छात्राओं को लेकर कुछ राहत जरूर दी है. समाज अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी ने स्पष्ट किया कि यदि छात्राओं को पढ़ाई के लिए मोबाइल की आवश्यकता हो, तो वे घर के भीतर मोबाइल का उपयोग कर सकेंगी. लेकिन किसी भी सार्वजनिक स्थान, सामाजिक कार्यक्रम या घर से बाहर जाते समय छात्राएं भी मोबाइल फोन अपने साथ नहीं ले जा सकेंगी. पंचायत का कहना है कि यह नियम समाज की मर्यादा और बच्चों के हितों को ध्यान में रखकर बनाया गया है.

स्मार्टफोनसे छोटे बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है 

पंचायत के तर्क को लेकर भी चर्चा तेज है. समाज अध्यक्ष के अनुसार महिलाओं के पास स्मार्टफोन होने से छोटे बच्चे उसका अधिक इस्तेमाल करने लगते हैं, जिससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ने की आशंका रहती है. इसी कारण मोबाइल उपयोग को नियंत्रित करना आवश्यक समझा गया. पंचायत का दावा है कि यह फैसला किसी को दंडित करने के उद्देश्य से नहीं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और समाज में अनुशासन बनाए रखने के लिए लिया गया है.

Advertisement

फैसले के खिलाफ विरोध भी शुरू

दूसरी ओर इस फैसले के खिलाफ विरोध भी शुरू हो गया है. महिला अधिकार संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध नागरिकों ने इसे महिला-विरोधी और तुगलकी फरमान करार दिया है. कई संगठनों ने इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और समानता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की है. यह नियम जालोर जिले के गाजीपुरा, पावली, कालड़ा, मनोजियावास, राजीकावास, दातलावास, राजपुरा, कोड़ी, सिदरोड़ी, आलड़ी, रोपसी, खानादेवल, साविधर, भीनमाल के हाथमी की ढाणी और खानपुर गांवों में लागू किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- राजस्थान में एक साथ 5 थाना प्रभारी पर गिरी गाज, DGP राजीव शर्मा के निर्देश पर हुआ एक्शन

Advertisement