Janmashtami 2024: राजस्थान का डीग और कामा बृज क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई थी लीलाएं, आज भी मौजूद हैं प्रमाण

Janmashtami 2024: डीग जिले का डीग और कामा क्षेत्र ब्रज अंचल का प्रमुख स्थल है. डीग को लठावन और कामा को कामवन के नाम से जानते थे, यहां भगवान श्रीकृष्ण ने कई लीलाएं रचाई, जिनके प्रमाण आज भी मौजूद हैं.

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Janmashtami 2024: कामा में चरण पर्वत, भोजन थाली स्थल, बद्रीनाथ धाम और गिरिराज जी पर्वत को उंगली पर उठाने के साथ श्याम ढाक में छाक लीला आदि प्रमुख है. कहा जाता है कि ब्रज की रज रज में भगवान श्रीकृष्ण का वास है. यहां कई भक्त कई सालों से श्रीकृष्ण  की भक्ति में लीन हैं. उन्होंने कहा है कि जिस व्यक्ति ने ब्रज घूम लिया, उसे संसार के किसी भी स्थान पर घूमने की जरूरत नहीं है. आइए भगवान श्रीकृष्ण की प्रमुख लीलाएं और उनके समय के मौजूद स्थलों के बारे में जानते हैं.

कामा में है चरण पहाड़ी और भोजन थाली स्थल 

डीग जिले के कामा में चरण पहाड़ी है. ऐसा माना जात है कि भगवान श्रीकृष्ण का पादुका चिन्ह आज भी मौजूद हैं. मां यशोदा कामा की निवासी थीं. भगवान इन्हीं के साथ यहां आया करते थे. इसके अलावा भगवान अपने शखा के साथ यहां गाय चराते थे. स्थानीय पुजारी के अनुसार कामवन में मौजूद पर्वतों पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम गाय चराने के बाद भोजन किया करते थे. पर्वत पर आज भी प्राचीन दही और माखन के कटोरे के प्रमाण मौजूद हैं. नगर पालिका की ओर से हर साल 5 दिवसीय भोजन थाली परिक्रमा मेला और दंगल का आयोजन कराया जाता.

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माता-पिता के दर्शन के लिए स्थापित किए तीर्थ स्थल

भगवान की लीलाओं का जो क्षेत्र है वह ब्रज भूमि में है . डीग जिले में स्थित आदि बद्रीनाथ वह स्थल है, जहां अपने माता-पिता को दिखाने के लिए स्वयं भगवान ने यहां स्थापना की है. जब नंद बाबा ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा कि हमें तीर्थ स्थल के दर्शन करा दीजिए, हम आदिबद्री, गंगोत्री और यमुनोत्री देखना चाहते हैं, तब भगवान ने कहा कि बाबा आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. हम आपको यही दर्शन करा देंगे. भगवान ने सभी तीर्थ स्थलों की स्थापना की और माता-पिता के साथ ब्रज वासियों को दर्शन कराए.

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डीग का ब्रज क्षेत्र.

भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई श्याम ढाक में छाक लीला 

भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज क्षेत्र में कई लीलाएं रची है, उनमें एक छाक लीला है. यह लीला भगवान श्रीकृष्ण ने डीग जिले के गांव बरौली चौथ गांव के पास स्थित श्याम ढाक में रचाई थी. महंत सागर के अनुसार, भगवान श्रीकृष्णा यहां गाय चराने के लिए आते थे. इसी दौरान जब गोपियां छाछ,-दही, माखन लेकर के मथुरा जा रही थीं, तो यहां भगवान श्रीकृष्ण ने भूख लगने की बात कह कर उनसे छाछ, दही और माखन मांगा. लेकिन, गोपियों ने कहा कि जंगल है यहां कोई पात्र नहीं है. भगवान श्रीकृष्ण ने वहां कदमों के पेड़ों से पत्ते तोड़े और स्वत: पत्ते दोने के आकार के बन गए. इसी में भगवान श्रीकृष्ण ने उनसे माखन लिया. उसी दिन से श्याम डाक में स्थित कदम के पेड़ पर पत्ते दोने के आकार में आते हैं.

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ब्रज की रज-रज में भगवान श्रीकृष्ण का वास 

कहा जाता है कि ब्रज की रज में भगवान श्रीकृष्ण का वास है. देश-विदेश से भी बड़े-बड़े व्यापारी ब्रज क्षेत्र में आकर भक्ति में लीन हैं. एक ऐसे ही भक्त हैं, राधा रमन दास जो मध्य प्रदेश के भोपाल के निवासी हैं. 2015 में ब्रज क्षेत्र में आ गए थे. उसके बाद में कहीं नहीं गए. जो महत्व बृज और बृजवासियों का है वह कहीं नहीं है.

नन्द भवन में मल्लगिरि अखाड़ा

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस को मल्लगिरि के जरिए मौत के घाट उतारा था. ब्रज आंचल में मल्लगिरि का बहुत शौक है. इसकी झलक डीग जिले के जल महलों में देखने को मिलती है. भगवान श्रीकृष्ण के नाम से जुड़े कई भवन जल महल में स्थित है, जिनमें से गोपाल भवन, नंद भवन और कृष्ण भवन है.

महाराजा सूरजमल और महाराजा जवाहर सिंह को मल्लगिरि का काफी शौक था, जिसके चलते उन्होंने नंद भवन में अखाड़ा भी बनवाया, वहां वह मल्लगिरि का आनंद लेते थे. अखाड़ा के ठीक बाहर स्नान कुंड है पहलवान जीत हार के बाद इसी कुंड में स्नान करते थे. डीग जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां प्रत्येक घर में से एक-एक पहलवान है..