Nathdawara Krishna Janmashtami: राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ, श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में इस वर्ष भगवान कृष्ण का 5192वां जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है. जन्माष्टमी के अवसर पर नाथद्वारा पूरी तरह से कान्हा के रंग में रंग गया है. पूरे शहर को रोशनी और फूलों से सजाया गया है. हर साल की तरह इस साल भी 21 तोपों की सलामी और नंद महोत्सव आकर्षण का मुख्य केंद्र रहेंगे.
श्रीनाथजी मंदिर में विशेष आयोजन
श्रीनाथजी मंदिर के युवराज विशाल बावा के संरक्षण में जन्माष्टमी का आयोजन किया जा रहा है. पुष्टिमार्ग परंपरा के अनुसार श्रीनाथजी के बाल रूप में होने के कारण यहां जन्माष्टमी का विशेष महत्व है. जन्माष्टमी पर सुबह से ही कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. उससे पहले यहां कान्हा के वस्त्र रंगने की परंपरा भी पूरी की गई. जन्माष्टमी से पहले पांचवें दिन गोपीवल्लभ भोग के बाद वैष्णव बधाई गीत गाते हुए एकत्रित होते हैं. जिसमें युवराज विशाल बावा अपने परिवार, मुखिया और श्रीजी के दर्जी सहित सभी लोगों के साथ केसरिया पगड़ी और मुखबंद कर श्रीनाथजी और और श्रीनवनीत प्रियाजी के वस्त्र रंगने की परंपरा निभाते हैं.
21 तोपों की दी जाती है सलामी
इस दिन मंगला दर्शन में ठाकुर जी को दूध, दही, घी, मिश्री और शहद से पंचामृत स्नान कराया जाता है. जिसे पंचामृत स्नान कहते हैं. इसके बाद उन्हें चाकदार केसरिया वस्त्र और मोर चंद्रिका से सजाया जाता है. इसके बाद भक्तों को उनके श्रृंगार दर्शन कराए जाते हैं. जिस दौरान मंदिर के पंड्या जी द्वारा भगवान की जन्म कुंडली पढ़ी जाती है. इसके बाद राजभोग में भगवान को विशेष महाभोग लगाया जाता है. इसके बाद रात 9 बजे से 11 बजे तक जन्म दर्शन खुलते हैं, जिसमें भक्त अपने आराध्य के दर्शन करते हैं. जैसे ही घड़ी की सुई 12 बजाती है और कृष्ण का जन्म होता है, 21 तोपों की गर्जना के साथ कृष्ण के जन्म की खबर पूरे नाथद्वारा को दे दी जाती है. इस तोपों की सलामी के साथ ही जन्मोत्सव का आनंद अपने चरम पर पहुंच जाता है.
नंद महोत्सव का उत्साह
वहीं जन्माष्टमी के अगले दिन यहां नंद महोत्सव मनाया जाता है. इस दिन प्रभु श्रीजी और लाडले लाल प्रभु की छठी की पूजा की जाती है, जिसका उद्देश्य छोटे कान्हा को बुरी नजर से बचाना है. छठी पूजन के बाद श्री लाडले लाल नवनीत प्रिया जी को स्वर्ण झूले में झूलाया जाता है. इस दौरान मंदिर के मुखिया नंद बाबा और यशोदा के रूप में नृत्य करते हैं। पूरे मंदिर में दूध, दही और केसर का छिड़काव किया जाता है और "नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की" के जयघोष से वातावरण गूंज उठता है.