Jat Reservation Row: केंद्र की नौकरियों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण दिलाने की मांग करते हुए भरतपुर-धौलपुर के जाट पिछले 11 दिनों से महापड़ाव डाले हुए हैं. सरकार से वार्ता विफल होने के बाद जाट नेताओं ने बड़े आंदोलन का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन इसका कोई असर अभी तक राजस्थान में देखने को नहीं मिला. आज अल्टीमेटम दिए 4 दिन बीत चुके हैं, और अभी भी जयचोली गांव में जाट समाज के लोग गांधीवादी तरीके से आंदोलन कर रहे हैं.
पूर्व कैबिनेट मंत्री से मिले जाट
लेकिन आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक के साथ-साथ नेशनल-स्टेट हाइवे को जाम करने के लिए लोगों को अलर्ट कर रखा है. महापड़ाव में भी लगातार जाट समाज के लोगों की भीड़ दिन-व-दिन बढ़ती देखी जा रही है. जानकारी के मुताबिक, आगामी दिनों में जिले के जगह-जगह स्थानों पर महापड़ाव डाले जाएंगे. आज पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से भी जाट समाज के नेताओ ने मुलाकात की है. लेकिन इसकी जानकारी किसी भी जाट नेता ने आधिकारिक रूप से नहीं दी है. पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से जाट नेताओं की मुलाकात होने से इस आंदोलन को नई गति मिलने के अनुमान है.
दो बिंदुओं पर बनी थी सहमति
जाट समाज ने 17 जनवरी को महापड़ाव डालते वक्त सरकार को चेतावनी देते हुआ कहा था कि 22 जनवरी शाम 5 बजे तक अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो वे दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और हाईवे जाम कर देंगे. जाटों की चेतावनी के मद्देनजर सरकार ने 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को रेलवे ट्रैक की निगरानी पर लगाया था. इसके बाद जाट आरक्षण संघर्ष समिति के 11 लोगों को वार्ता के लिए जयपुर भी बुलाया गया था. इस दौरान सरकार के प्रतिनिधि मंडल से दो बिंदुओं पर सहमति बनी, लेकिन आरक्षण के मामले को लेकर सीएम से मुलाकात नहीं होने पर वार्ता विफल रही.
यहीं सिमट जाएगा जाट आंदोलन?
सरकार से वार्ता फेल होने के बाद भी जाट समाज ने चक्का जाम का अल्टीमेटम दिया था, और लोगों को किसी भी चक्का जाम करने के लिए तैयार करने के लिए कहा था. लेकिन इस अल्टीमेटम के चार दिन बाद भी आंदोलन गांधीवादी तरीके से चल रहा है. जाट नेताओं की चेतावनी को देखते हुए अब यह देखना होगा कि यह जाट आरक्षण आंदोलन यही तक सिमट का रह जाएगा या फिर कुछ नया देखने को मिलेगा? बात 2017 की करें तो भरतपुर में आरक्षण को लेकर जाटों ने जिले के सभी रेल और सड़क मार्गों पर चक्का जाम कर दिया था. आंदोलन के चलते ट्रेन और यातायात पर काफी असर पड़ा. निजामुद्दीन कोटा स्पेशल एक्सप्रेस को रद्द कर दिया गया था. साथ ही कोटा-पटना एक्सप्रेस और दो अन्य ट्रेनों को मथुरा से चलाया गया.
1998 से जारी है जाटों की लड़ाई
बताते चलें कि भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग 1998 से चली आ रही है. 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था. 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर-धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया. लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे ने दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया. लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया.