दुष्यंत सिंह के लिए कितनी मुश्किल होगी 5वीं जीत, 15 साल पहले उर्मिला जैन ने ही दी थी सबसे कड़ी टक्कर

झालावांड़-बांरा सयुंक्त लोकसभा सीट पर पहली बार साल 2009 में चुनाव हुआ था. यानी झालावांड-बांरा लोकसभा सीट के रूप में यहां चौथी बार चुनाव होने जा रहा है.

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दुष्यंत सिंह और उर्मिला जैन भाया

Jhalawar-Baran Lok Sabha Seat: राजस्थान की झालावांड़-बांरा लोकसभा सीट काफी लोकप्रीय सीट है. इस सीट पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का कब्जा रहा है. जबकि वसुंधरा राजे की विरासत को अब 20 साल से उनके बेटे दुष्यंत सिंह संभाल रहे हैं. यानी इस सीट पर बीजेपी का तो राज है. लेकिन कहा जाए तो यह सीट राजपरिवार का गढ़ है. वसुंधरा राजे ने पहली बार 1989 में इस सीट से उम्मीदवार बनी थीं तब से वह 1999 तक 5बार यहां जीत हासिल किया. इसके बाद साल 2004 में अपने बेटे दुष्यंत सिंह को यह सीट दे दिया गया और वह भी इस सीट से 4 बार चुनाव जीत चुके हैं.अब वह 5वीं बार फिर से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.यानी 15 साल इस सीट पर वसुंधरा राजे ने राज किया उसके बाद 20 साल से दुष्यंत सिंह राज कर रहे हैं. यानी 35 साल से एक परिवार झालावाड़-बांरा सीट पर राज कर रहा है.

आपको बता दें 2008 तक झालावांड़ लोकसभा सीट हुआ करती थी. लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट झालावांड़-बांरा लोकसभा सीट के नाम से बन गया. वहीं झालावांड़-बांरा सयुंक्त लोकसभा सीट पर पहली बार साल 2009 में चुनाव हुआ था. यानी झालावांड-बांरा लोकसभा सीट के रूप में यहां चौथी बार चुनाव होने जा रहा है.

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दुष्यंत सिंह के सामने उर्मिला जैन भाया

झालावांड़-बांरा लोकसभा सीट पर जहां बीजेपी की ओर से दुष्यंत सिंह (Dushyant Singh) चुनाव लड़ रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस की ओर से उर्मिला जैन भाया (Urmila Jain Bhaya) चुनावी मैदान में हैं. उर्मिला जैन भाया के लिए दुष्यंत सिंह की कड़ी चुनौती है. क्योंकि यह वह भी जानती है कि इस सीट पर राजपरिवार का दबदबा रहा है और 35 साल से एक ही परिवार के लोग यहां जीत दर्ज कर रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद उर्मिला जैन यहां दुष्यंत सिंह से टक्कर लेने के लिए मैदान में उतरी हैं. हालांकि, दुष्यंत सिंह भी इस बार उर्मिला जैन भाया को हल्के में नहीं लेंगे. क्योंकि उर्मिला जैन भाया ही वह उम्मीदवार हैं जो दुष्यंत सिंह को कड़ी टक्कर दे चुकी हैं.

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उर्मिला जैन भाया साल 2009 में लड़ा था चुनाव

उर्मिला जैन भाया और दुष्यंत सिंह के बीच झालावाड़-बांरा सीट पर यह पहली बार मुकाबला नहीं हो रहा है. बल्कि उर्मिला जैन भाया साल 2009 में भी दुष्यंत सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं. उस चुनाव में उर्मिला ने दुष्यंत को जितनी बड़ी टक्कर दी थी. उतनी बड़ी चुनौती दुष्यंत सिंह को कभी नहीं मिली. क्योंकि उर्मिला को उस वक्त दुष्यंत सिंह से महज 52,841 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इसके बाद कांग्रेस के उम्मीदवार बदले लेकिन दुष्यंत को 2 और 4 लाख वोटों से जीत हासिल हुई.

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2009 के चुनाव में उर्मिला जैन भाया को 3,76,255 वोट मिले थे. जबकि दुष्यंत सिंह 4,29,096  वोट मिले थे. यानी महज 6 प्रतिशत वोट ज्यादा मिला था. 

झालावांड़ -बांरा लोकसभा सीट का इतिहास और सियासी समीकरण भले ही दुष्यंत सिंह के पक्ष में हो. लेकिन वह उर्मिला जैन भाया को हल्के प्रत्याशी समझने की गलती नहीं कर सकते हैं. उर्मिला जैन भाया 15 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं और वह अपनी नई जमीन अब बना चुकी हैं. उर्मिला जैन भाया ने 3 अप्रैल को अपना नामांकन कराया है. जबकि 2 अप्रैल को दुष्यंत सिंह ने शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन दर्ज करवाया.

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