झालावाड़ हादसे के बाद सरकार का एक और फैसला, सरकारी भवनों की सुरक्षा के लिए स्थायी समितियां गठित

समिति की जिम्मेदारी सभी सरकारी भवनों, सड़कों और पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराना, जर्जर व असुरक्षित ढांचों की पहचान कर मरम्मत या ध्वस्तीकरण कराना, मरम्मत के लिए तकमीना तैयार कर वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना होगी.

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झालावाड़ हादसे के बाद सरकार का एक और फैसला

Rajasthan News: राजस्थान में झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद सरकार ने राज्य के स्कूलों, कॉलेजों, छात्रावासों, चिकित्सा संस्थानों, सरकारी दफ्तरों, सड़कों और पुलों की सुरक्षा जांच और समयबद्ध मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए स्थायी समितियों के गठन का निर्णय लिया है. मुख्य सचिव सुधांश पंत की तरफ से इस संबंध में आदेश जारी किए हैं. सरकार ने तय किया है कि हर साल 15 जून से पहले सभी असुरक्षित भवनों और संरचनाओं की मरम्मत का कार्य पूरा किया जाएगा. ताकि मानसून से पहले संभावित जानमाल की हानि से बचा जा सके. 

अतिरिक्त मुख्य सचिव समिति की करेंगे अध्यक्षता

सरकार का यह फैसला पीपलोदी हादसे पर मुख्यमंत्री की उच्चस्तरीय बैठक के बाद लिया गया है. बैठक में मुख्यमंत्री ने सरकारी भवनों और ढांचों की समय-समय पर समीक्षा और आवश्यक सुधार कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. राज्य स्तर पर गठित समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव, सार्वजनिक निर्माण विभाग करेंगे. 

समिति में शिक्षा, चिकित्सा, ऊर्जा, नगरीय विकास, पंचायती राज, कृषि, वित्त और तकनीकी शिक्षा के वरिष्ठ अधिकारी सदस्य होंगे. यह समिति पूरे राज्य में सरकारी भवनों, सड़कों और पुलों की सुरक्षा ऑडिट, मरम्मत, ध्वस्तीकरण और बजट आवंटन से जुड़े निर्णय लेगी. 

समिति की जिम्मेदारी सभी सरकारी भवनों, सड़कों और पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराना, जर्जर व असुरक्षित ढांचों की पहचान कर आवश्यकतानुसार मरम्मत या ध्वस्तीकरण कराना, मरम्मत के लिए तकमीना तैयार कर वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराना होगी. हर साल जून माह से पहले सभी कार्य पूरे कर सुरक्षा सुनिश्चित करना, हर महीने निरंतर समीक्षा कर संबंधित विभागों को दिशा-निर्देश देना भी अनिवार्य है. 

हर जिले में भी होगी स्थायी समिति

हर जिले में जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में स्थायी समिति गठित की जाएगी, जिसमें मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद अधीक्षण अभियंता PWD व विद्युत विभाग मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी व अन्य नामित अधिकारी सदस्य होंगे. यह समिति उपखंड स्तर तक जरूरत के अनुसार उप-समितियां बनाकर क्षतिग्रस्त भवनों, सड़कों और पुलों की स्थिति का ऑडिट कराएगी.

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साथ ही, वर्षा काल में बिजली करंट, जलभराव, पुल ढहने और बाढ़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के उपायों की निगरानी करेगी. जिला समितियां समयबद्ध रिपोर्ट तैयार कर जर्जर संरचनाओं को असुरक्षित घोषित करने और ध्वस्त कराने की कार्यवाही भी सुनिश्चित करेंगी.

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