झालावाड़ स्कूल हादसे की शिक्षा मंत्री ने ली जिम्मेदारी, बोले- भगवान न करें ऐसी घटना दोबारा हो...

झालावाड़ हादसे के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम बच्चों की जान की कीमत पर यह निर्देश नहीं दे सकते कि जर्जर भवनों में पढ़ाया जाए.

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Rajasthan News: झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे के बाद शिक्षा अधिकारी से लेकर कलेक्टर तक हर कोई सवालों के घेरे में है. इस हादसे के बाद सरकार भी जागी और एक के बाद एक एक्शन लिए जा रहे हैं. शनिवार को शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भरतपुर पहुंचे. जब उनसे पूछा गया कि कल हुई घटना के बाद आज वह कैसे अपना स्वागत करवा सकते हैं तो उन्होंने कहा कि मैं अपना स्वागत सम्मान कहीं नहीं करवाया. मैं माला पहनता नहीं और पिछले 36 साल से माला नहीं पहनता. झालावाड़ हादसे की जिम्मेदारी मेरी है.

जांच के बाद होगी कठोर कार्रवाई

शिक्षा मंत्री ने कहा कि हम इस घटना की विस्तृत जांच करवा रहे हैं. जांच में जिस तरह के तथ्य आएंगे. उसके बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी. मैंने नैतिकता के आधार पर घटना की जिम्मेदारी ली है, क्योंकि जब कोई अच्छा होता है तो उसकी भी जिम्मेदारी लेता हूं. कल हादसा हुआ, उसकी जिम्मेदारी भी मेरी है. हमने अधिकारियों से जर्जर स्कूलों की लिस्ट मांगी थी. हमारे पास जर्जर स्कूलों की सूची आई उसमें झालावाड़ के स्कूल का नाम नहीं था. जिसके कारण यह घटना हुई है.

स्कूल का तर्क है कि 1 से डेढ़ साल पहले डांग विकास का जो फंड होता है. उसमें से 1 लाख रुपये लेकर स्कूल की मरम्मत करवाई थी, क्योंकि स्कूल में 2 से 3 कमरे थे. लेकिन छत से न तो पानी टपका है. न ही और कुछ हुआ है.

स्कूल में पट्टियों वाली थी छत

साइड की दीवार गिर गई. क्लास के ऊपर आरसीसी की छत नहीं थी. इस पर पट्टियों वाली छत थी. एक गिरते ही पट्टियां नीचे आ गईं. इसके कारण यह हादसा हुआ है. पिछली बार मरम्मत के लिए 80 करोड़ रुपये दिए और इस बार भी 80 करोड़ रुपये दिए थे. इस बार 175 करोड़ की स्वीकृतियां जारी हो रहीं हैं. 

शिक्षा मंत्री ने बताया कि हमने 2 हजार स्कूलों का चयन करके उसके लिए पैसे दे दिए हैं. यह सरकारी प्रोसेस हैं, जिसमें टेंडर भी होते हैं और सरकारी प्रोसेस पूरा होता है. यह कोई घर का काम नहीं है जो जेब से निकालकर दे दो और आधी रात को काम चालू कर दें. 

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जर्जर कमरों में ताले लगाने के निर्देश

मदन दिलावर ने कहा कि जब तक बिल्डिंग की मरम्मत नहीं होती, तब तक जर्जर कमरों में ताले लगाए जाएं. अगर दूसरा साधन नहीं है तो नजदीकी स्कूल में बच्चों को ले जाकर पढ़ाए.  भवन तैयार होने के बाद वापस शिफ्ट किया जा जाए. हम बच्चों की जान की कीमत पर यह निर्देश नहीं दे सकते कि ऐसे भवनों में पढ़ाया जाए. भगवान ना करें, ऐसी घटना अब दोबारा देखने को मिले. इसके लिए हम सजग हैं. 

विधायक निधि से हो सकेगी मरम्मत

इससे पहले सीएम भजनलाल शर्मा ने जर्जर स्कूलों को लेकर बड़ा फैसला लिया. उन्होंने शनिवार को राज्य के सभी जर्जर स्कूल भवनों और सरकारी संस्थानों की मरम्मत को तत्काल प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि डांग, मगरा और मेवात क्षेत्रीय योजना के तहत आने वाले इलाकों में स्कूल, आंगनबाड़ी और अन्य राजकीय भवनों की मरम्मत के लिए बजट सीमा 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई है. 

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सरकार ने विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MLA LAD) में भी बदलाव किया है. अब किसी भी योजना से बने राजकीय भवन की मरम्मत के लिए वार्षिक आवंटन का 20 फीसदी तक खर्च किया जा सकेगा. पहले ये सीमा काफी सीमित थी, जिससे मरम्मत कार्य में देरी होती थी. अब विधायक अपनी सिफारिश पर स्कूल, पंचायत भवन, डिस्पेंसरी, आंगनबाड़ी जैसे सरकारी भवनों की हालत सुधारने के लिए तेजी से काम शुरू करवा सकेंगे.

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