JJM Scam: राजस्थान में जल जीवन मिशन (जेजेएम) में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन मामले में कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मंत्री महेश जोशी सहित विभिन्न लोगों की 47 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. ईडी ने एक बयान में बताया कि पदमचंद जैन, महेश मित्तल, संजय बड़ाया, महेश जोशी, विशाल सक्सेना और उनके परिवार के सदस्यों/सहयोगी कंपनियों की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए बुधवार (11 जून) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक अनंतिम आदेश जारी किया गया.
जांच एजेंसी ने प्रत्येक व्यक्ति की कुर्क की गई संपत्ति की कीमत अलग से नहीं बताई. उसने कहा कि कुर्क की गई संपत्ति में कृषि भूमि, आवासीय फ्लैट और मकान शामिल हैं.
अप्रैल में हुए थे महेश जोशी गिरफ्तार
ईडी ने 70 वर्षीय महेश जोशी को इस मामले में अप्रैल में गिरफ्तार किया था. मामले में कथित बिचौलिये संजय बड़ाया, श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के मालिक महेश मित्तल और श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के मालिक पदमचंद जैन के साथ पीयूष जैन नामक एक व्यक्ति को भी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है.
महेश जोशी संभाल रहे थे PHED विभाग
धन शोधन का यह मामला राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की एक प्राथमिकी से उपजा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जैन, मित्तल और अन्य लोग अवैध संरक्षण हासिल करने, निविदाएं एवं बिल मंजूर कराने तथा पीएचई विभाग से मिले विभिन्न ठेकों में उनके द्वारा निष्पादित कार्यों में अनियमितताएं छिपाने के लिए लोक सेवकों को “रिश्वत” देने में शामिल थे. जोशी राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार में जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के मंत्री थे. राज्य में जेजेएम योजना के क्रियान्वयन का जिम्मा इसी विभाग पर है.
ईडी ने दावा किया कि मामले के आरोपी पीएचई ठेके हासिल करने के लिए भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड की ओर से कथित तौर पर जारी किए गए “फर्जी” कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करने में भी शामिल थे.
जांच एजेंसी ने कहा, “महेश जोशी ने अपने करीबी सहयोगी संजय बड़ाया के साथ मिलीभगत करके जेजेएम कार्यों से जुड़े ठेके जारी करने और विभिन्न अनियमितताएं छिपाने के लिए पदमचंद जैन और महेश मित्तल जैसे ठेकेदारों से अनुचित लाभ हासिल किया.”
ईडी ने दावा किया, “वह (महेश जोशी) इन ठेकेदारों से निविदा राशि का दो-तीन फीसदी हिस्सा रिश्वत के रूप में लेते थे, ताकि अनुकूल व्यवहार किया जा सके और विभिन्न अनियमितताओं को छिपाया जा सके.”
गहलोत ने अप्रैल में जोशी की गिरफ्तारी को “राजनीतिक प्रतिशोध” की कार्रवाई करार दिया था. उन्होंने कहा था कि ईडी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का “जबरन वसूली विभाग” बन गया है.
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